रिलायंस की सहायक कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स ने हाल ही में पॉलीगॉन ब्लॉकचेन नेटवर्क पर जियोकॉइन नामक एक नया रिवॉर्ड टोकन लॉन्च किया है। हालांकि कंपनी ने अभी तक इसकी उपयोगिता के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है, लेकिन इसके उभरने से इसके संभावित अनुप्रयोगों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। यह कदम जियो और पॉलीगॉन लैब्स के बीच हुई साझेदारी के बाद आया है, जिसका उद्देश्य ब्लॉकचेन और वेब3 तकनीकों का उपयोग करके जियो की सेवाओं को और अधिक उन्नत बनाना है।
जियोकॉइन का सबसे पहला प्रचलन 16 जनवरी को देखा गया था, जब कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे जियोस्फीयर पर पाया, जो कंपनी का वेब ब्राउज़र है। जियोकॉइन को जियोस्फीयर पर एक रिवॉर्ड मैकेनिज़म के रूप में पेश किया गया था, जिसमें उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट ब्राउज़ करते समय जियोकॉइन प्राप्त हो रहे थे। हालांकि, जियोकॉइन अब तक जियोस्फीयर पर गैर-हस्तांतरणीय और रिडीमेबल बना हुआ है, लेकिन भविष्य में इसके अधिक व्यापक उपयोग के साथ इसके मूल्य का पता चलने की उम्मीद जताई जा रही है।
बिटिनिंग के CEO काशिफ रजा का मानना है कि जियोकॉइन भविष्य में मोबाइल रिचार्ज या रिलायंस गैस स्टेशनों पर लेन-देन जैसी सेवाओं में उपयोगी हो सकता है। हालांकि, कुछ आलोचकों ने जियोकॉइन की पारदर्शिता और प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। क्रिप्टो विश्लेषक सुनील अग्रवाल ने पॉलीगॉन नेटवर्क पर इसके सत्यापित स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और ब्लॉक एक्सप्लोरर की कमी पर चिंता जताई है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लिए सख्त नियामक आवश्यकताओं के बीच जियोकॉइन का लॉन्च हुआ है, जिसमें मुनाफे पर 30% कर और स्रोत पर 1% कर कटौती शामिल है।