जेफरीज की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 2025 की पहली छमाही में नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एमपीसी बैठक में केंद्रीय बैंक ने तरलता पर नरम रुख अपनाया और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 बीपीएस की कटौती की। इस कदम के बाद, आरबीआई नीतिगत दरों की समीक्षा कर सकता है, और रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई 1H25 में 50 बीपीएस की दर में कटौती कर सकता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आरबीआई का “वापसी” रुख अब “तटस्थ” तरलता स्थिति में बदल चुका है, जिससे दर कटौती के लिए संभावनाएं बढ़ी हैं। सीआरआर में शुद्ध मांग और समय देयताओं (एनडीटीएल) के पूर्व-कोविड स्तर पर कटौती ने भी इसे संभव बनाया है। रिपोर्ट के अनुसार, नीतिगत दरों में कटौती से नियामक गति को स्थिर करने में मदद मिल सकती है, जिससे विकास और निवेश को बढ़ावा मिल सकता है।
हालांकि, इस दर कटौती से बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) पर अस्थायी प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि NIM में 10 बीपीएस की गिरावट से आय में 3-8 प्रतिशत की कमी हो सकती है, जिसका असर विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) पर पड़ेगा।
इसके अलावा, रिपोर्ट में परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, खासकर असुरक्षित खुदरा ऋणों और छोटे एवं मध्यम उद्यमों (SME) के ऋणों में। रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है कि वित्त वर्ष 26 में परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हो सकता है, विशेष रूप से असुरक्षित ऋण खंड में।