Haryana News: कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। सुरजेवाला ने कहा कि पिछले 6 साल से हरियाणा सरकार द्वारा चलाई जा रही पीपीपी यानी परिवार पहचान पत्र योजना करोड़ों लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
पूर्व सीएम खट्टर और सीएम सैनी मांगे माफी- सुरजेवाला
उन्होंने कहा कि इस योजना के नाम पर लोगों के साथ की जा रही जोर जबरदस्ती, धक्काशाही, उत्पीड़न, और खुली लूट के लिए राज्य के सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर जिम्मेदार है और उन्हें बिना किसी शर्त के जनता से माफी मांगनी चाहिए।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा इस तुगलकी योजना के जरिए पीपीपी को अनिवार्य करने की बाध्यता को हटाए जाने पर प्रदेश के करोड़ों लोगों ने राहत की सांस ली है। उन्होंने कहा कि वो शुरू से ही इस योजना का कड़ा विरोध करते आए हैं, क्योंकि राज्य सरकार हर सेवा के लिए पीपीपी को अनिवार्य दस्तावेज बनाने पर तुली हुई थी। यहां तक कि पेयजल कनेक्शन, स्वास्थ्य सुविधाएं, बिजली, और अन्य मूलभूत जरूरतों के लिए भी ये दस्तावेज ऐच्छिक की बजाय अनिवार्य कर दिया गया।
पीपीपी यानी परमानेंट परेशानी योजना- सुरजेवाला
सुरजेवाला ने कहा कि वास्तव में पीपीपी योजना परिवार परेशानी योजना और परमानेंट परेशानी योजना साबित हुई है। इसके कारण न केवल लाखों लोग महीनों तक लाईनों में खड़े रहने को मजबूर हुए, बल्कि इससे हर कदम पर प्रदेशवासियों से भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों ने करोड़ों रुपये की लूट की। इसके लिए सीधे खट्टर और नायब सिंह सैनी दोषी हैं, और उनसे तत्काल प्रदेश की जनता से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस तरह की तुगलकी योजना खट्टर और सैनी नहीं, बल्कि पूरी बीजेपी की मानसिकता को दर्शाती है। इन सभी का एकमात्र काम लोगों को फिजूल के झंझटों में उलझाकर असली मुद्दों से भटकाए रखने का है।
रणदीप ने इस बात पर संतुष्टि जताई कि आखिरकार हाईकोर्ट से ही सही, कम से कम हरियाणा की बीजेपी सरकार की इस पीपीपी के नाम पर की जा रही तानाशाही, उत्पीड़न और खुली लूट पर अब रोक लग सकेगी। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार से 29 जनवरी तक अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है।