नई दिल्ली। कैंसर की अगर दवा खाने के बाद भी आपकी बीमारी ठीक ना हो और मर्ज बना रहे तो आपको अलर्ट हो जाना चाहिए, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर में कैंसर की नकली दवाओं का करोबार करने वाले कई गैंग एक्टिव हैं। दिल्ली और गुड़गांव में ऐसे ही एक नकली दवा बनाने वाले रैकेट का भांडाफोड़ हुआ है। क्राइम ब्रांच ने यहां छापा मार कर 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग कैंसर की नकली दवा मार्केट में सप्लाई करते थे। नकली दवा के इस कारोबार में कीमोथैरेपी का एक इंजेक्शन जो 1 लाख 97 हजार कीमत का मिलता है, उसमें 100 रुपए की एंटी फंगल दवाई भरकर बेच दी जाती थी। इससे सही इलाज नहीं मिलने से मरीज की जान चली जाती है।
नकली दवाओं की असली कीमत करीब चार करोड़
दिल्ली में कैंसर के इलाज के दौरान होने वाली कीमोथेरेपी की नकली दवा रैकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में रैकेट के सरगना समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से दो भारतीय और सात विदेशी कंपनियों की नकली इंजेक्शन बरामद किए। इन नकली दवाओं की असली कीमत करीब चार करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके अलावा पुलिस ने करीब 90 लाख रुपये कैश भी बरामद किया। यह पूरा रैकेट दिल्ली के मोती नगर से चलाया जा रहा था। यहां पर नकली इंजेक्शन की रिफिलिंग, लेबलिंग से लेकर सप्लाई का पूरा काम चलता था।
दिल्ली के नामी कैंसर अस्पताल कर रहे थे काम
दिल्ली पुलिस ने जिस रैकेट का भांडाफोड़ किया है, ये पिछले 2 साल से चल रहा था। ये लोग अब तक 7 हजार से ज्यादा इंजेक्शन बेच चुके थे। इनकी सप्लाई दिल्ली के अलावा मुंबई, पुणे, मुजफ्फरपुर के साथ-साथ चीन और अमेरिका में भी की गई। ये गिरोह कैंसर की नकली दवा बनाता था। इस गिरोह में शामिल सभी आरोपी मेडिकल बैकग्राउंड से ही हैं और दो आरोपी तो दिल्ली के नामी कैंसर अस्पताल में दस साल से ज्यादा से काम कर रहे थे। आरोपी कैंसर के 1.97 लाख रुपये के इंजेक्शन में नकली दवाइयां भरकर बेचते थे। इनके कब्जे से 89 लाख रुपये नकद, 18 हजार रुपये के डॉलर, चार करोड़ रुपये की सात अंतरराष्ट्रीय और दो भारतीय ब्रांडों की कैंसर की नकली दवाएं बरामद की गई है।
आरोपियों ने कई जगह निवेश किए
दिल्ली पुलिस की स्पेशल कमिशनर शालिनी सिंह ने मीडिया को बताया कि इनमें से दो आरोपी अस्पताल में काम करते थे। उनका काम अस्पताल से ऑपिडाटा, कीट्रुडा, डेक्सट्रोज़, फ्लुकोनाज़ोल जैसी कैंसर की महंगी दवाओं की खाली शीशियों को इकट्ठा करना था। ये लोग इन शीशियों को इकट्ठा कर उन्हें बेच देते थे। फिर उनमें नकली दवाएं भर कर बेचा जाता था। पुलिस के मुताबिक़, ये रैकेट हर शीशी पर लगभग 150-200 रुपये खर्च करता था। फिर उसे 1 लाख से 3 लाख रुपयों में बाज़ार में बेचते थे। एक पुलिस अफ़सर ने बताया कि आरोपियों ने जो पैसे कमाए, उससे करोड़ों के अपार्टमेंट और दुकानें खरीदीं। कई जगह निवेश किए। ये नेटवर्क कई राज्यों तक फैला है। इनमें दिल्ली-NCR, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश और बिहार शामिल हैं, कई और जगहों पर छापेमारी की जा रही है।
गिरफ्तार सातों आरोपी
(1) दिल्ली निवासी विफिल जैन (46 वर्ष( (2) सूरज शत(28)(3) गुरुग्राम, निवासी नीरज चौहान (38 वर्ष) ( 4) परवेज़(33) (5) कोमल तिवारी(39) (6) अभिनय कोहली(30) और (7) तुषार चौहान (29 )।
10वीं फेल है रैकेट का सरगना
विफिल को इस पूरे नकली एंटी कैंसर दवा रैकेट का सरगना बताया जा रहा है। विफिल यूपी के बागपत का रहने वाला है। इसका बचपन दिल्ली के सीलमपुर में बीता। विफिल ने दसवीं क्लास तक भी पढ़ाई नहीं कर पाया। इसके बाद उसने मेडिकल स्टोर पर काम करना शुरू कर दिया। इसके बाद उसने होलसेल मार्केट से लोकल मार्केट में दवाई सप्लाई करने में लग गया। करीब तीन साल पहले उसे यह नकली दवा की सप्लाई करने का आइडिया आया। इसके बाद विफिल जैन ने पश्चिमी दिल्ली के मोती नगर में डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स में किराये पर फ्लैट लिया था। पुलिस का कहना है कि विफिल की तरफ से इन दो ईडब्ल्यूएस फ्लैटों से ही नकली कैंसर रोधी दवा का रैकेट चलाता था। यहीं पर नकली इंजेक्शन की पैकिंग और सप्लाई का काम चलता था।
नीरज चौहान: 16 साल मेडिकल फील्ड में एक्टिव
नीरज चौहान भी यूपी में बागपत का रहने वाला है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद नीरज ने मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन का कोर्स किया। इसके बाद नीरज ने 2006 से 2022 तक गुड़गांव और दिल्ली के अस्पतालों के ऑन्कोलॉजी विभाग में मैनेजर के रूप में काम किया। नीरज चौहान को गुड़गांव के साउथ सिटी में छापे के दौरान गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने कहा कि उसने नकली कैंसर रोधी इंजेक्शनों, शीशियों का बड़ा जखीरा जमा कर रखा था। नीरज चौहान ही लोगों से मिलकर उन्हें कम कीमत पर दवा खरीदने के लिए राजी करता था।
परवेज-तुषार: खाली शीशी से लेकर सप्लाई का जिम्मा
परवेज एक नामी कैंसर अस्पताल में फार्मासिस्ट के रूप में काम कर चुका है। उसकी अस्पताल के पास ही एक फार्मेसी शॉप है। पुलिस ने परवेज को यमुना विहार में छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया। पुलिस ने कहा कि उसने विफिल के लिए खाली शीशियों की व्यवस्था की। इसके अलावा वह दोबारा भरी शीशियों की सप्लाई में भी शामिल था।वह दिल्ली के एक अस्पताल में कीमो दवा मिक्सिंग वाली एक यूनिट में काम करता था।
तुषार : लोगों तक पहुंचाता था दवाएं
पुलिस ने बताया कि तुषार एक लैब टेक्निशियन है। यह नीरज का चचेरा भाई है। तुषार, नीरज के साथ मिलकर नकली दवाएं सप्लाई करने का काम करता था। यह भगीरथ पैलेस के अलावा नीरज चौहान की तरफ से बताए गए ग्राहकों को नकली दवा बेचता था।
सूरज शात : शीशियों में दवा भरने का काम
विफिल जैन ने इस काम में अपने साथ सूरज को भी जोड़ लिया। सूरज पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। उसने शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से ही की। हालांकि, 10वीं के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। विफिल ने कैंसर की नकली दवा तैयार करने के बाद उन्हें शीशियों में रीफिलिंग और पैकेजिंग का काम दिया। सूरज इस काम को गिरफ्तार होने से पहले तक बखूबी अंजाम दे रहा था।
कोमल तिवारी: फार्मेसी शॉप की पार्टनर
कोमल तिवारी फार्मेसी में परवेज के साथ काम करती है। वह 2013 से दिल्ली के एक कैंसर अस्पताल की साइटोटॉक्सिक मिक्सिंग यूनिट में काम कर रही हैं। परवेज ने कोमल तिवारी को फार्मेसी शॉप में पार्टनर बनाया हुआ था।
अभिनय: नामी कंपनियों की खाली शीशी बेचता था
अभिनय पेशे से एक फार्मासिस्ट है। वह भी नामी कैंसर अस्पताल में कोमल के साथ ही साइटोटॉक्सिक मिक्सिंग यूनिट में काम करता है। उसने कथित तौर पर परवेज को खाली शीशिया देता था। अभिनय ने हर एक शीशी के लिए पांच हजार रुपये की पेमेंट करता था।