Friday, November 22, 2024
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पंजाब, वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों को झटका, पेंशन….

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों के लिए पेंशन की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का काम है और उन्होंने याचिकाकर्ताओं की खराब वित्तीय स्थिति के कारण उन्हें पेंशन नहीं दी है। यह पूरी तरह से नीतिगत मामला है जिसमें कोर्ट का हस्तक्षेप ठीक नहीं है।

याचिका दाखिल करते हुए पंजाब वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के कर्मचारियों ने हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब के सभी विभागों के कर्मचारियों को पेंशन दी जाती है, लेकिन याचिकाकर्ताओं को नहीं। उन्होंने पेंशन की मांग को लेकर सरकार को एक मांग पत्र भी दिया था। बोर्ड ने प्रस्ताव तैयार किया था कि कर्मचारियों को बोर्ड के फंड से पेंशन दी जा सकती है।

याचिका का विरोध करते हुए पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील तेज शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति शर्त में पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि पेंशन और सेवा नियमावली भी सरकार का मामला है और कोर्ट को इस पर आदेश नहीं देना चाहिए।

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सभी पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित कानून है कि नीतिगत मामलों की जांच में न्यायिक समीक्षा का दायरा बहुत सीमित है। अदालतें किसी नीति की शुद्धता, पर्याप्तता या उपयुक्तता का परीक्षण नहीं कर सकती हैं, न ही अदालतें नीति के मामलों में कार्यपालिका की सलाहकार होती हैं, जिसे बनाने की शक्ति कार्यपालिका के पास है।

कोर्ट ने कहा, ‘किसी नीतिगत फैसले की न्यायिक समीक्षा और किसी खास तरीके से नीति बनाने के आदेश जारी करना काफी अलग-अलग हैं। बेहतर प्रशासन के लिए वर्तमान स्थिति के आधार पर नीतिगत निर्णय लेना कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में है। कानून बनाना अदालतों का अधिकार क्षेत्र नहीं है, हम कानूनों की व्याख्या करते हैं और ऐसी व्याख्या में कुछ रचनात्मक प्रक्रिया शामिल होती है।

न्यायालयों के पास किसी कानून को असंवैधानिक घोषित करने की शक्ति है, लेकिन केवल जब आवश्यक हो। किसी अदालत को किसी नीतिगत निर्णय की वैधता पर तभी विचार करना चाहिए जब वह संविधान द्वारा निर्धारित मौलिक अधिकारों या किसी अन्य कानूनी अधिकार का उल्लंघन करता हो। इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी।

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