पंजाब, 9 साल बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक एनआरआई के खिलाफ दर्ज अपहरण और हत्या के मामले की जांच करते हुए एडीजीपी ए.एस. राय के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया गया है। हाई कोर्ट ने कहा कि पंजाब पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से अपहरण और उसके बाद हत्या की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
बलदेव सिंह देयोल ने मई 2015 में जालंधर में एफआईआर दर्ज कराई थी। जांच सी.बी.आई. द्वारा या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने की मांग करते हुए याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने कहा कि व्यक्ति के अपहरण और हत्या की एफ.आई.आर दर्ज है। वह इंग्लैंड में लगभग 6,000,000 पाउंड का डिफॉल्टर था। याचिकाकर्ता के साथ-साथ इंग्लैंड के अन्य लेनदारों के प्रति अपने दायित्व से बचने के लिए, उसने अपने अपहरण और हत्या को झूठा प्रचारित किया।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि नहर से निकाले गए शव को डीएनए टेस्ट के लिए सीएफएसएल भेजा गया है, लेकिन डीएनए कथित मृत व्यक्ति के भाई से मेल नहीं खाया। हाई कोर्ट ने कहा कि अजीबोगरीब परिस्थितियों और मामले की गंभीरता को देखते हुए यह जानना जरूरी है कि हत्या हुई है या शख्स फरार है।
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इस मामले में याचिकाकर्ता को फंसाने के पहलू पर भी गौर करना जरूरी है। फिलहाल कोई भी पुलिस अधिकारी या एजेंसी दोषी नहीं है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि जांच एजेंसी समझौता कर चुकी है और निष्पक्ष तरीके से काम नहीं करेगी।
ऐसे में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को रद्द करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही एडीजीपी ए.एस. रॉय की अध्यक्षता में एस.आई.टी गठन के आदेश दे दिए गए हैं। हाई कोर्ट के डी.जी.पी स्पष्ट किया कि एस.आई.टी आई.जी. के सदस्य रैंक से नीचे नहीं होना चाहिए। पीठ ने याचिकाकर्ता को दो महीने के भीतर एसआईटी के सामने पेश होने और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया।