Punjab news: पंजाब के कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सिंह सौंद ने मोदी सरकार द्वारा MNREGA स्कीम में किए गए बदलावों को ‘काला कानून’ बताते हुए केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इन नई शर्तों से न सिर्फ गरीब मजदूरों का रोजगार छिनेगा, बल्कि ये राज्यों के फेडरल स्ट्रक्चर पर भी सीधा हमला है।
नई स्कीम से पंजाब पर 600 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा
मंत्री सौंद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पहले MNREGA के लिए कोई बजट लिमिट नहीं थी, लेकिन अब केंद्र एक खास बजट तय करेगा। अगर खर्च उस बजट से ऊपर गया, तो पूरा बोझ राज्य सरकारों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे पंजाब पर हर साल 600 करोड़ रुपये का एक्स्ट्रा बोझ पड़ेगा, जबकि यूपी और बिहार जैसे राज्यों पर यह बोझ 2000 करोड़ रुपये तक जा सकता है।
मंत्री द्वारा उठाए गए मुख्य मुद्दे:
रोजगार के दिनों का भ्रम: केंद्र 125 दिन के रोजगार की बात कर रहा है, लेकिन असल में एक एवरेज परिवार को सिर्फ 45 दिन का काम मिल रहा है। स्कीम 2 महीने बंद रहेगी: यह स्कीम साल में 2 महीने (फसल कटाई के समय) के लिए बंद रहेगी। इससे मज़दूर परिवारों के लिए उन 2 महीनों में गुज़ारा करना मुश्किल हो जाएगा।
अलाउंस बंद: पहले, अगर केंद्र काम नहीं दे पाता था, तो ‘बेरोज़गारी भत्ता’ देना ज़रूरी था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है।
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पंचायतों की पावर छीनी गई:
पहले, काम करवाने की पावर गांव की पंचायत के पास थी, लेकिन अब केंद्र सारा कंट्रोल अपने हाथ में ले रहा है, जो लोगों के अधिकारों पर डकैती है।
काम की कैटेगरी कम की गईं:
पहले, काम की 266 कैटेगरी थीं, जिन्हें अब घटाकर सिर्फ़ 4 कर दिया गया है। जॉब कार्ड का समय भी 5 साल से घटाकर 3 साल कर दिया गया है।
तरुणप्रीत सिंह सौंद ने कहा कि जब दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री सो रहे हैं, तब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस गंभीर मुद्दे पर विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाने का फ़ैसला किया है। सेशन में प्रस्ताव लाकर इस कानून का कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 2023 से MNREGA का फंड रोक दिया गया है। केंद्र अब दूसरे गैर-BJP राज्यों के साथ भी ऐसा कर सकता है। उन्होंने U.P. और बिहार जैसे राज्यों से जागने की अपील की और सभी राज्यों से एक साथ मीटिंग करके केंद्र के खिलाफ लामबंद होने को कहा।

