Punjab News: संयुक्त किसान मोर्चा की पंजाब इकाई की एक आपात बैठक बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लखोवाल और मुकेश चंद्र शर्मा के नेतृत्व में हुई। बैठक में किसान आंदोलन समेत लोगों के लोकतांत्रिक संघर्षों को कुचलने के लिए पंजाब सरकार द्वारा शुरू किए गए दमन अभियान से उत्पन्न स्थिति पर खुलकर चर्चा की गई। पंजाब के किसानों की मांगों के संबंध में बैठक आयोजित करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब को पंजाब सरकार द्वारा दिए गए निमंत्रण पर भी चर्चा की गई।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पंजाब सरकार द्वारा किसानों के संघर्ष को बलपूर्वक दबाने का निर्णय बातचीत के लिए अनुकूल नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लेगा। बैठक में किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाकर और उन्हें गिरफ्तार करके विरोध प्रदर्शनों पर पुलिस की बुलडोजर कार्रवाई को गंभीरता से लिया गया।
बैठक में महसूस किया गया कि राज्य में पुलिस शासन लागू करने की कवायद चल रही है। ऐसे माहौल में पंजाब सरकार का बैठक बुलाना किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान है। बैठक में सर्वसम्मति से पंजाब सरकार से मांग की गई कि पहले बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए। दमन बंद होना चाहिए, गिरफ्तार किसानों को बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए और उनके औजार व उपकरण वापस किए जाने चाहिए। पंजाब सरकार द्वारा अनुकूल माहौल बनाए जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा किसानों की मांगों को लेकर बातचीत के लिए तैयार है।
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बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने किसान आंदोलन पर हो रहे दमन के खिलाफ 28 मार्च को राज्य के सभी उपायुक्तों के कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया। इन विरोध प्रदर्शनों को उत्पीड़न विरोधी दिवस के रूप में चिह्नित करते हुए किसान नेताओं ने किसान संगठनों सहित राज्य के सभी न्यायप्रिय लोगों से इन विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा बनने की अपील की।
संयुक्त किसान मोर्चा ने दमन विरोधी दिवस के कारण 26 मार्च को पंजाब विधानसभा की ओर अपने नियोजित मार्च को स्थगित कर दिया है। बैठक में पटियाला में पुलिस द्वारा सेना के कर्नल रैंक के अधिकारी और उसके बेटे की पिटाई के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई तथा पटियाला के सरकारी महिन्द्रा कॉलेज में किसानों पर अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्र नेता के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की कड़ी निंदा की गई।
किसान नेताओं ने कहा कि उपरोक्त घटनाएं दर्शाती हैं कि पंजाब सरकार राज्य में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है। पंजाब सरकार को ऐसा रास्ता अपनाने से परहेज करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अगर पंजाब सरकार दमन का रास्ता नहीं छोड़ती तो संयुक्त किसान मोर्चा इसके खिलाफ व्यापक आंदोलन खड़ा करने के लिए कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएगा।