Punjab News, संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल पंजाब के किसान संगठनों की एक अहम बैठक किसान भवन में बूटा सिंह बुर्ज गिल, रुलदू सिंह मानसा और बूटा सिंह शादीपुर की अध्यक्षता में हुई। चंडीगढ़ प्रदर्शन के दौरान सरकार से सहमति व्यक्त की गई मांगों को लागू करने के लिए कहा जाएगा।
बैठक में कृषि विपणन के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई नई राष्ट्रीय कृषि नीति के मसौदे को खारिज करने समेत किसानों की अन्य मांगों को हासिल करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पांच मार्च से राज्यों की राजधानियों में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन करने के आह्वान को लागू करने की योजना बनाई गई।
यह निर्णय लिया गया कि 5 मार्च से पंजाब संयुक्त किसान मोर्चा चंडीगढ़ में एक दीर्घकालिक विरोध प्रदर्शन शुरू करेगा, जिसमें मांग की जाएगी कि पंजाब सरकार विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके इस नई राष्ट्रीय कृषि नीति के मसौदे को खारिज करे और पंजाब के किसानों को बासमती, आलू, मक्का, मटर और गोभी आदि की एमएसपी और खरीद भी सुनिश्चित करे। इस विरोध प्रदर्शन के लिए आज प्रशासनिक और प्रेस समितियों का गठन किया गया।
बैठक में किसानों व मजदूरों की ऋणग्रस्तता के मुद्दे पर भी गंभीरता से चर्चा की गई तथा कहा गया कि केंद्र व राज्य सरकारें किसानों की इस महत्वपूर्ण मांग को पूरी तरह से भूल चुकी हैं। मोदी की केंद्र सरकार ने अब तक कॉरपोरेट जगत के करीब 15 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए हैं, वहीं किसानों और मजदूरों से मुंह मोड़ लिया है। इसी तरह पंजाब सरकार ने 19 दिसंबर 2023 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हुई बैठक में नाबार्ड के परामर्श से सहकारी बैंकों में भी वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर एकमुश्त निपटान योजना लाने का वादा किया था, लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ है। चंडीगढ़ प्रदर्शन के दौरान सरकार से सहमति व्यक्त की गई मांगों को लागू करने के लिए कहा जाएगा।
आज की बैठक में जिजंद गांव सहित राज्य भर में बसने वालों और किरायेदारों को उनकी जमीन से बेदखल करने के प्रयासों की कड़ी निंदा की गई तथा मांग की गई कि उन्हें बेदखल करने के बजाय मालिकाना हक दिया जाए। बैठक में पंजाब और हरियाणा में भूजल पर केंद्रीय आयोग की हाल ही में आई रिपोर्ट में भारी और जहरीले तत्वों की बढ़ती मात्रा का उल्लेख किए जाने का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए, कॉरपोरेट्स और उद्योगों द्वारा जल प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास तेज करने तथा दीर्घकालिक धरने के माध्यम से हर खेत तक नहरी पानी और हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की मांग को जोर-शोर से उठाने का निर्णय लिया गया।
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दिल्ली मोर्चे की पंजाब सरकार के पास लंबित मांगों को भी उठाया जाएगा, जिसमें शहीद परिवारों के वारिसों को नौकरी व मुआवजा देने तथा किसान व पुलिस संघर्ष के दौरान दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग शामिल है। बैठक में गन्ना किसानों को डीएपी न मिलने और मक्की के बीज की कालाबाजारी के मुद्दे पर पंजाब सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा गया कि पंजाब सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में लगातार विफल हो रही है।
आज की बैठक में प्रधानमंत्री के फिरोजपुर दौरे को लेकर किसानों पर दर्ज किए गए नाजायज 307 के मामले रद करने की मांग के साथ-साथ अखाड़ा भूंदड़ी समेत राज्य भर में बायोगैस फैक्ट्रियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिसिया दमन की कड़े शब्दों में निंदा की गई।
आज की बैठक में बलबीर सिंह राजेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहा, हरिंदर सिंह लखोवाल, हरमीत सिंह कादियां, रमिंदर सिंह पटियाला, डॉ. सतनाम अजनाला, मनजीत सिंह धनेर, प्रेम सिंह भंगू, रूप बसंत सिंह, गुरमीत सिंह महिमा, वीर सिंह बड़वा, बिंदर सिंह गोलेवाला, अमरप्रीत सिंह, सुख गिल मोगा, चमकौर सिंह, हरबंस सिंह संघा, किरणजीत सिंह सेखो, बलविंदर सिंह मल्ली नंगल, गुरप्रीत सिंह, सुखमंदर सिंह, वरपाल सिंह, मुकेश चंद्र, झंडा सिंह जेठूके, वीरपाल सिंह ढिल्लो और गुरनाम भीखी मौजूद थे।