Punjab News: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आज एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए लैंड पूलिंग पॉलिसी-2025 में कई किसान हितैषी संशोधनों को हरी झंडी दे दी गई। इन संशोधनों के तहत, सरकार अब भूमि पूलिंग में शामिल किसानों को उनकी आजीविका के लिए भूमि विकसित होने तक प्रतिवर्ष 1 लाख रुपये प्रदान करेगी, जो पिछली सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली 20,000 रुपये की तुलना में सीधे पांच गुना अधिक है।
सरकार ने किसानों को भविष्य की सुरक्षा का आश्वासन देते हुए इस राशि में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर प्रति वर्ष एक लाख रुपये करने की भी घोषणा की है। इस प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता लाने के लिए, किसानों को अब 21 दिनों के भीतर आशय पत्र प्राप्त होगा। किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि वे आशय पत्र बेचकर उस पर ऋण ले सकते हैं। इसके साथ ही, परियोजना पर काम शुरू होने तक किसान अपनी जमीन पर खेती करके आय अर्जित कर सकेंगे और उन्हें सरकार की ओर से सालाना 50,000 रुपये की अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी।
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान जमीन खरीदने-बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा और किसान जब चाहे तब जमीन खरीद, बेच और रजिस्ट्री करा सकता है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब शहरी योजना एवं विकास प्राधिकरण (पुडा) की लैंड पूलिंग को और अधिक सुचारू बनाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब मंत्रिमंडल ने आज लैंड पूलिंग नीति 2025 में संशोधन को मंजूरी दे दी।
इस संबंध में निर्णय आज यहां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उनके सरकारी आवास पर आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की लैंड पूलिंग योजना में किसी भी किसान को परेशान नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बार सरकार ऐसी योजना लेकर आई है जिसमें जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं होगा, बल्कि किसान की मर्जी होगी कि वह अपनी जमीन देकर पंजाब के विकास में भागीदार बनना चाहता है या नहीं।
किसानों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर, इन संशोधनों का उद्देश्य आवास एवं शहरी विकास विभाग की भूमि पूलिंग प्रक्रिया को अधिक कुशल, प्रभावी और आकर्षक बनाना है। पंजाब सरकार ने पहले भूमि मालिकों, प्रमोटरों और कंपनियों को शहरी विकास में भागीदार बनने और भूमि पूलिंग में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु भूमि पूलिंग नीति 2025 तैयार की थी। इस नीति पर प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न गांवों के सरपंचों, विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों और किसानों के साथ कई बैठकें कीं।
इन बैठकों में प्राप्त सुझावों के आधार पर नीति में संशोधन कर इसे और अधिक प्रगतिशील, तर्कसंगत और विकासोन्मुखी बनाया गया है। इस संशोधित नीति के तहत जिन मालिकों की भूमि अधिग्रहित की जानी है, उन्हें अब एक कनाल भूमि के बदले 125 वर्ग गज का प्लॉट और 25 गज व्यावसायिक भूमि मिलेगी। इसके अलावा, विभाग आशय पत्र (एलओआई) जारी करेगा, जिससे भूस्वामियों को बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सुविधा होगी।
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इसके अलावा, एलओआई जारी होने पर विभाग भूमि मालिकों को निर्वाह भत्ते के रूप में 50,000 रुपये की एकमुश्त राशि प्रदान करेगा। भूमि अधिग्रहण के बाद भूस्वामियों को प्रतिवर्ष एक लाख रुपये मिलेंगे। यह वार्षिक राशि भूमि अधिग्रहण से शुरू होकर संबंधित पक्षों को विकसित भूखंड सौंपे जाने तक प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी।
यह भी निर्णय लिया गया कि 50 एकड़ या इससे अधिक भूमि पूलिंग के मामले में बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी) के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि भूस्वामी वाणिज्यिक स्थान नहीं लेते हैं, तो बदले में उन्हें वाणिज्यिक स्थान की तुलना में तीन गुना अधिक आवासीय स्थान मिलेगा। यानी अगर एक एकड़ जमीन देने वाला किसान 200 गज का व्यावसायिक प्लॉट नहीं लेना चाहता तो वह इसके बदले 600 गज का आवासीय प्लॉट भी ले सकता है। ऐसा करने से किसान को एक एकड़ के बदले शहरी संपत्ति में 1600 गज का आवासीय प्लॉट मिलेगा।