Punjab News: मुख्यमंत्री भगवंत मान के विजन के अनुसार पंजाब को सुरक्षित राज्य बनाने के लिए चल रही मुहिम के तहत पंजाब पुलिस की स्टेट साइबर क्राइम डिवीजन ने पंचकूला और अबोहर से दो व्यक्तियों को गिरफ्तार करके निवेश धोखाधड़ी में शामिल एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह जानकारी मंगलवार को यहां पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने दी।
यह गिरोह टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से शेयर बाजार में निवेश में भारी मुनाफे का लालच देकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था। इस गिरोह के शातिर लोग पीड़ितों को अपने विश्वास में लेकर उनके मोबाइल में फर्जी एपीके इंस्टॉल कर देते हैं। वे अपने निवेशित धन पर भारी रिटर्न का वादा करके एप्लीकेशन इंस्टॉल करवाते थे। फर्जी एप्लीकेशन पर भारी मुनाफा कमाने के जाल में फंसकर भोले-भाले लोग धोखेबाजों के निर्देशानुसार आसानी से विभिन्न बैंक खातों में पैसा जमा कर देते थे।
गिरफ्तार व्यक्तियों की पहचान वरुण कुमार (पंचकूला से) और साहिल सेठी (अबोहर से) के रूप में हुई है। जांच से पता चला है कि वरुण कुमार ने अपना बैंक खाता कमीशन के आधार पर साहिल सेठी को किराए पर दे रखा था, जिसने आगे ऐसे खाते खरीदे और अपने मास्टरमाइंड से प्राप्त निर्देशों के अनुसार नई दिल्ली के एनसीआर क्षेत्र में धन हस्तांतरित किया, जो वर्चुअल मोबाइल नंबरों के माध्यम से उसके संपर्क में था। वह क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के लिए पुनर्विक्रय करता था।
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि गिरोह के सरगना इन फर्जी बैंक खातों में धोखाधड़ी से जुटाई गई धनराशि के आधार पर गिरफ्तार आरोपियों को कमीशन देते थे।
UP के 75 जिलों में मूंग और 15 जिलों में मूंगफली खरीद शुरू, लाखों किसानों को होगा लाभ
डीजीपी ने कहा, “प्रारंभिक जांच से पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी 14 राज्यों में लगभग 34 अन्य साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों में भी शामिल हैं, जिनमें कुल 8 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई है।” उन्होंने यह भी कहा कि इन धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार वर्चुअल मोबाइल नंबरों और व्यापक नेटवर्क को उजागर करने के लिए आगे की जांच चल रही है।
ऑपरेशन का विवरण साझा करते हुए, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) साइबर अपराध वी. नीरजा ने कहा कि 15 लाख रुपये की ठगी का शिकार हुए एक पीड़ित की शिकायत के बाद, इंस्पेक्टर जुझार सिंह की देखरेख में एक साइबर अपराध टीम ने गहन जांच की। उन्होंने बताया कि टीम ने कई ओएसआईएनटी तकनीकों और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के समन्वय पोर्टल की तकनीकी सहायता का उपयोग करके आरोपियों की पहचान करने के बाद उन्हें गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की।