Punjab News: मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने 1993 के फर्जी पुलिस मुठभेड़ मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कपूरथला निवासी पलविंदर सिंह उर्फ पप्पू के फर्जी मुठभेड़ मामले में 3 पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है। थानेदार मनजीत सिंह को 8 वर्ष कारावास व 50 हजार रुपये जुर्माना, एएसआई करमजीत सिंह को आईपीसी की धारा 342/120बी के तहत 3 वर्ष कारावास व 50 हजार रुपये जुर्माना, एसआई गुरमेज सिंह को आईपीसी की धारा 364 के तहत 8 वर्ष कारावास व 50 हजार रुपये जुर्माना तथा कांस्टेबल कश्मीर सिंह व हरजीत सिंह को बरी कर दिया गया।
मामले की जानकारी साझा करते हुए पलविंदर सिंह की बेटी भूपिंदर कौर ने कहा कि वह मोहाली कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से असंतुष्ट हैं और इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगी और आरोपियों के खिलाफ फांसी की सजा की मांग करेंगी।
उन्होंने आगे बताया कि केस की पैरवी करते समय पहले उनके दादा दर्शन सिंह की मौत हो गई, फिर उनकी दादी की भी ट्रायल के दौरान मौत हो गई और 27 मार्च को उनके भाई की दुर्घटना में मौत हो गई, जिसके लिए आरोपी पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार माना जा रहा है।
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मामले की जानकारी साझा करते हुए भूपिंदर कौर ने बताया कि 1993 में जब भूपिंदर कौर करीब 3 साल की थी तो उसके पिता को रावलपिंडी पुलिस स्टेशन द्वारा सुबह 8 बजे उसके घर से उठा लिया गया था और उसके बाद वह अपने पिता को ढूंढती रही और उसके पिता आज तक घर वापस नहीं आए।
दो साल बाद जब उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की तो पुलिस अधिकारियों ने उच्च न्यायालय में जवाब दाखिल कर बताया कि उनके पिता पलविंदर सिंह हवालात से फरार हो गए हैं। जिसके बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया। जिसके बाद 2005 में इस मामले की चार्जशीट सीबीआई ने मोहाली कोर्ट में दाखिल की थी। जिसमें मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने 3 पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है।