Punjab जलवायु परिवर्तन का देश की कृषि पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में धान और गेहूं के उत्पादन में 6 से 10 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों लोगों के लिए किफायती भोजन तक पहुंच प्रभावित होगी। साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का पानी गर्म हो गया है।
जिसके कारण मछलियाँ गहरे समुद्र में ठंडे पानी की ओर जा रही हैं। इसका मछुआरा समुदाय पर भी प्रभाव पड़ा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मार्टिंजय महापात्रा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से गेहूं और चावल की फसलों में कमी आएगी, जिसका देश के किसानों और खाद्य सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पश्चिमी अवदाब की आवृत्ति और तीव्रता भी कम हो रही है। इससे मौसम प्रणाली में भी परिवर्तन हो रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण निकट भविष्य में हिमालय और उसके नीचे के मैदानी इलाकों में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है।
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार संस्थान (एनआईसीआरए) के अनुसार, वर्ष 2100 तक भारत में गेहूं उत्पादन में 6 से 25 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है। वहीं, चावल उत्पादन में 2050 तक सात प्रतिशत और 2080 तक 10 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।
उन्होंने यह भी कहा कि समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण तट के पास मछली पकड़ने की मात्रा भी कम हो रही है। सचिव ने कहा कि इंसानों की तरह मछलियों को भी ठंडा पानी पसंद होता है। जैसे-जैसे समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, मछलियाँ तट से दूर ठंडे पानी की ओर जा रही हैं। इससे मछुआरा समुदाय के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है तथा उनकी आजीविका पर भी असर पड़ सकता है।