Friday, November 22, 2024
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Punjab सरकार विधानसभा सत्र पर विवाद के बाद Supreme Court का रुख करेगी

Punjab, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार राज्य विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में पेश किए जाने वाले तीन विधेयकों को मंजूरी देने से राज्यपाल के इनकार करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी।

सत्र के पहले दिन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ घंटे बाद ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सत्र को अवैध करार दिया था और राजस्व संबंधी विधेयकों को अपनी मंजूरी रोक दी थी, जिससे उनके और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच विवाद बढ़ गया।

सदन में मान ने राज्यपाल पर हमला करते हुए उन्हें एक बार ‘लाट साहब’ कहा। मान ने कहा कि राज्यपाल इस तरह से बर्ताव कर रहे हैं जैसे प्रदेश राज्यपाल शासन के तहत है या वह दिल्ली के उपराज्यपाल की तरह हैं. स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, मान ने अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान से सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का आग्रह किया और कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर राज्यपाल के खिलाफ 30 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।

सदन की कार्यवाही को स्थगित करने का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री बलकार सिंह ने पेश किया और विधानसभा द्वारा पारित कर दिया गया। इस साल यह दूसरी बार है, जब आम आदमी पार्टी (आप) सरकार विधानसभा सत्र बुलाने पर राज्यपाल के साथ मतभेदों को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।

मान ने उनकी सरकार द्वारा बुलाए गए सत्र की वैधता पर सवाल उठाने के लिए पुरोहित की आलोचना की और पूछा, लोकतंत्र में, जब हम लोगों द्वारा चुने गए हैं, तो हम निर्णय क्यों नहीं ले सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी राज्यपाल-राज्य सरकार के बीच खींचतान देखी जा रही है और इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को एक साथ आना चाहिए।

विधानसभा सत्र पर स्पीकर कुलतार सिंह संधवां बोले- दो दिवसीय सत्र वैध

मान ने कहा कि सत्र दो दिन या 20 दिन का हो सकता है, लेकिन किसी को इसकी वैधता पर संदेह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, अध्यक्ष साहब, मैं नहीं चाहता कि यह हर दिन की लड़ाई (राज्यपाल के साथ) और आगे बढ़े। उन्होंने अध्यक्ष से विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि जब तक हम पंजाबियों को यह सुनिश्चित नहीं कर देते कि यह सत्र वैध है, तब तक हम कोई भी विधेयक पेश नहीं करेंगे और राज्यपाल को (विधेयकों को) मंजूरी देनी होगी और उन पर हस्ताक्षर भी करने होंगे।

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