Thursday, September 4, 2025
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Punjab Flood: बाढ़ के दौरान एक तरफ तबाही तो दूसरी तरफ मुनाफा, तिरपाल, छाते और रेनकोट के दाम दोगुने

Punjab Flood: पिछले 2 हफ़्तों से हो रही भारी बारिश ने राज्य में तबाही मचा दी है और बारिश से बचने के लिए तथा बाढ़ प्रभावित इलाकों में तिरपालों की कमी के कारण कई पूँजीपति दुकानदारों ने तिरपाल, छाते, रेनकोट आदि दुगुने दामों पर बेचने का सहारा लिया है।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान सहित सभी मंत्री, जिला प्रशासन के अधिकारी, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, साथ ही समाजसेवी संस्थाएँ बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद के लिए आगे आई हैं, लेकिन तिरपाल, छाते, रेनकोट जमा करने वाले लोग मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दाखा विधानसभा क्षेत्र के अधिकांश गाँव सतलुज नदी के किनारे बसे प्रभावित परिवारों तक भोजन और राशन पहुँचा रहे हैं और अपनी हैसियत के अनुसार गरीब परिवारों की मदद कर रहे हैं।

प्रगतिशील सोच वाले कई गांवों के युवा अपने गांवों से ट्रॉलियों में प्रसाद (दाल, रोटी) और पानी लाकर प्रभावित परिवारों की सेवा कर रहे हैं और रात में सतलुज बांध से सटे गांवों में पानी घुसने से रोकने के लिए पहरा भी दे रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर, ऐसे लोग भी हैं जो बाढ़ के दौरान अच्छी-खासी कमाई करके अपनी तिजोरियाँ भरने में लगे हैं। उनकी दुकानों के सामने तिरपाल, छाते और रेनकोट खरीदने वालों की लाइनें लग गईं। लगातार हो रही बारिश के कारण गांवों में कच्चे घर बह गए। अब तो पुराने लालटेन भी इस्तेमाल होने लगे हैं। जिससे लोग मुनाफाखोरों से परेशान हैं। गरीब लोगों ने बताया कि काला तिरपाल 160 रुपये से 300 रुपये प्रति किलो, छाता 200 रुपये से 400 रुपये, रेनकोट (बरसात का कोट) 350 रुपये से 700 रुपये तक बिक रहा है।

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उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास उपरोक्त सामान खरीदने के लिए पैसे कम हों, तो दूसरी बार आने पर पता चलता है। अब दुकानदार के पास प्लास्टिक के तिरपाल खत्म हो गए हैं। जब इस बारे में नायब तहसीलदार कमलजीत सिंह से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि इस मुश्किल घड़ी में हम सभी को एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए, लेकिन जो दुकानदार दोगुने दामों पर सामान (तिरपाल, छाते, रेनकोट आदि) बेच रहे हैं, वह बहुत बुरी बात है।

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