Punjab, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत 13 मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की ओर से की जा रही भूख हड़ताल का आज 67वां दिन है। जगजीत सिंह दल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता की मांग की है। यह भूख हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार मांगें पूरी नहीं कर देती।
उधर, शंभू 29 जनवरी को खनौरी बॉर्डर पर भारत सरकार से आए अधिकारी जगजीत सिंह दल्लेवाल का हालचाल जानने पहुंचे और किसान नेताओं के साथ बैठक की। दिल्ली आंदोलन 2.0 के तहत खनौरी बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी है। 11 महीने से अधिक समय से किसान पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं।
पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन-2 को 13 फरवरी को एक साल पूरा होने जा रहा है। ऐसे में दोनों मोर्चों पर किसानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। वहीं, किसान नेता 11 फरवरी से 13 फरवरी तक होने वाली तीन किसान महापंचायतों को सफल बनाने के लिए पूरी रणनीति बनाने में जुटे हैं।
केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को चंडीगढ़ में किसानों के साथ बैठक करने का फैसला किया है। इससे पहले किसान सीमाओं पर भारी संख्या में जुटकर प्रदर्शन करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि आंदोलन को शुरू हुए एक साल बीत चुका है। लेकिन उनका हौसला अभी भी ऊंचा है। इसके अलावा वह लंबी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हैं।
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दूसरी बात यह कि किसान किसी भी प्रकार की क्रूरता नहीं दिखा रहे हैं। वे बहुत शांति से सामने खड़े हैं। वहीं, जिस तरह से दल्लेवाल का अनशन चल रहा है। उन्होंने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दल्लेवाल ने खुद लोगों को इस आंदोलन में शामिल होने का संदेश दिया है। इसके अलावा, वे यह आंदोलन सिर्फ पंजाब के लिए नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए लड़ रहे हैं।
किसानों का ध्यान इस आंदोलन को पंजाब से बाहर ले जाने पर है। ऐसे में अब हरियाणा और राजस्थान पर फोकस बढ़ा दिया गया है। इसी योजना के तहत पहले हरियाणा से किसानों के जत्थे लगातार खनौरी पहुंच रहे थे। अब महापंचायत और ट्रैक्टर मार्च इसका हिस्सा हैं क्योंकि जल्द ही दूसरे राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हो सकेंगे। इसके बाद सरकार पर भी दबाव बनेगा।
श्री केसगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी सुल्तान सिंह खनौरी ने किसान मोर्चे पर पहुंचकर किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से मुलाकात की। इससे पहले कल दल्लेवाल ने श्री अखंड पाठ साहिब के भोग में भाग लिया। इस बीच, उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब की मौजूदगी में पंडाल में लाया गया। लेकिन उनकी खराब सेहत के कारण उन्हें वापस ट्रॉली में ले जाया गया। किसान नेताओं का पूरा फोकस महापंचायतों पर है।