पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, 15 सितंबर से 10 नवंबर तक पंजाब में 6,611 पराली जलाने की घटनाएं हुईं। जिलों में, संगरूर में 116, मनसा में 44, फिरोजपुर में 26, मोगा और फरीदकोट में 24-24 और मुक्तसर में खेत में आग लगने के 20 मामले सामने आए हैं। पंजाब और हरियाणा में अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।
चूंकि धान की फसल के बाद रबर की फसलें, खासकर गेहूं उगाने का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल बोने के लिए फसल के अवशेषों को जल्दी से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।
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2023 में पंजाब में खेतों में आग लगने की कुल 36,663 घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष की तुलना में ऐसी घटनाओं में 26 प्रतिशत की गिरावट है। राज्य में 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 आग की घटनाएं दर्ज की गईं।
पंजाब में रविवार को खेतों में पराली जलाने की 345 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से 116 संगरूर में हुईं, जिससे राज्य में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या 6,600 से अधिक हो गई। बता दें कि धान की फसल के बाद रबर की फसल, खासकर गेहूं उगाने के लिए बहुत कम समय होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल लगाने के लिए फसल के अवशेषों को जल्दी से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।