पंजाब, स्वास्थ्य विभाग की ओर से खोले गए ओट क्लीनिक में लाखों युवा आ रहे हैं, लेकिन इनमें सिर्फ वे ही शामिल हैं जो नशा छोड़ देते हैं। पिछले साढ़े पांच साल में पंजाब के सरकारी और निजी केंद्रों से नशे के आदी लोगों को 127.64 करोड़ टैबलेट की आपूर्ति की गई है, जिस पर करीब 550 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। मुफ्त गोली के तौर पर मशहूर ब्यूप्रोनोर्फिन पर पंजाब सरकार ने पांच साल में 282.51 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
जब पंजाब में नशीली दवाओं से होने वाली मौतों के मामले सामने आए तो सरकार ने ओट क्लीनिकों में मुफ्त दवाएं देना शुरू कर दिया, जिनमें बुप्रोनोर्फिन की गोलियां प्रमुख हैं। शुरुआत में ओट क्लीनिक में डॉक्टरों की मौजूदगी में नशा करने वालों को यह गोली दी जाती थी। बाद में साप्ताहिक दवा एकत्र की गई। फिर नशे के आदी लोगों ने गोलियां ब्लैक में बेचना शुरू कर दिया। प्राइवेट सेंटरों का ये बिजनेस अच्छा लगता है।
आपको बता दें कि पंजाब में फिलहाल 529 सरकारी ओट क्लीनिक, नशा मुक्ति केंद्र हैं, जबकि 2019 में इनकी संख्या 193 थी। 2019 में 105 निजी केंद्र थे, जो अब बढ़कर 177 हो गए हैं। सप्ताह में 6 दिन ओट क्लीनिक के बाहर लंबी कतारें लगी रहती हैं।
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सूत्र के मुताबिक, नशे के आदी लोग अब इस गोली के आदी हो गए हैं और बाजार में मुफ्त की गोली भी बिकने लगी है। एक साल पहले पंजाब विधानसभा में यह आंकड़ा सामने आया था कि पंजाब के नशा मुक्ति केंद्रों में पिछले साढ़े 6 साल में 8.82 लाख मरीज पहुंचे, लेकिन इनमें से केवल 4106 नशेड़ियों ने ही नशा छोड़ा। 26 अक्टूबर 2017 से नशा मुक्ति केंद्रों में पंजीकृत मरीजों का रिकॉर्ड रखना शुरू कर दिया गया है।
नवीनतम विवरण के अनुसार, सरकार ने 2019 में इन टैबलेट पर 20.97 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि 2023 में 85.95 करोड़ रुपये खर्च किए गए। सरकार नशे के आदी लोगों पर रोजाना औसतन 23.54 लाख रुपये खर्च कर रही है। सरकार ने जनवरी 2019 से जून 2024 तक 46.73 करोड़ ब्यूप्रोनोर्फिन टैबलेट की आपूर्ति की है।