मानसून के समय में हर साल दो महीनों में सब्जियों और रेट में अचानक बढ़ोतरी हो जाती है। जिससे मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट काफी प्रभावित होता है। बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश से सब्जियों की सप्लाई कम हो गई है। जहां एक ओर गर्मी का पारा बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इसका असर अब सब्जियों पर भी दिखने लगा है। इससे न सिर्फ सब्जी विक्रेता को नुकसान हो रहा है।
दुकानदारों के मुताबिक बरसात के दिनों में उत्पादन कम हो जाता है और मांग बढ़ जाती है, जिससे रेट काफी बढ़ जाते हैं। सब्जियों के दाम बढ़ने से खरीदारों की संख्या में भी कमी आई है। बता दें कि बाजार में मटर- 160 रुपये प्रति किलो, घिया-60 रुपये प्रति किलो, पत्तागोभी- 60 रुपये प्रति किलो, फ्रांसबीन-80 रुपये प्रति किलो, टमाटर-80 रुपये प्रति किलो, शिमला मिर्च-80 रुपये प्रति किलो, टोरी- 60 रुपये प्रति किलो, अरबी- 60 रुपये प्रति किलो, प्याज- 50 रुपये प्रति किलो, खीरा- 60 रुपये प्रति किलो, आलू- 40 रुपये प्रति किलो मिल रहा है।
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दुकानदारों का कहना है कि बरसात के मौसम में सब्जियों की मांग अधिक होती है और बाजारों में आवक कम होती है क्योंकि एक तो बरसात के मौसम में सब्जियों का उत्पादन कम हो जाता है और दूसरा यह कि ज्यादातर सब्जियां पहाड़ी इलाकों से आती हैं। बारिश के कारण कई जगहों पर सड़कें बंद हैं, जिससे सब्जियां बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
दिन-ब-दिन बढ़ती महंगाई से लोगों का बजट बिगड़ गया है। लोग अब किलो की बजाय आधा किलो सब्जियों पर गुजारा कर रहे हैं। कामकाजी परिवारों और गरीब लोगों के लिए सब्जी के साथ रोटी खाना मुश्किल हो गया है। सब्जियों के दाम बढ़ने का कारण बारिश से प्रभावित फसल को बताया जा रहा है। इसके साथ ही पहाड़ी इलाकों में हो रही बारिश के कारण सब्जियां कम मात्रा में बाजार में पहुंच रही हैं। इसके चलते सब्जियों के दाम भी बढ़ गए हैं।