रोहतक। रोहतक में चार माह हुए एक मारपीट के मामले में अदालत ने आरोपियो को जमानत दे दी जबकि पुलिस ने उसमें हत्या के प्रयास की धारा जोड़ी हुई थी। यह हमला 4 माह पहले शीला बाईपास पर महम के दुकानदार पर हुआ था। इस हमले के मामले में पुलिस ने बिना डॉक्टर की सलाह के हत्या के प्रयास की धारा जोड़ दी। अदालत ने धारा के बावजूद आरोपी विकास और रोहित को जमानत दे दी। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस के बाद ने कहा कि हत्या के प्रयास की धारा 307 को लेकर उचित साक्ष्य नहीं है।
बचाव पक्ष के वकील अजय नांदल और रोहित नैन ने बताया कि महम के वार्ड नंबर छह निवासी योगेश ने 27 जनवरी को शिकायत दी थी कि उसने किराये पर रामगोपाल कॉलोनी में दुकान किराये पर ले रखी है। इंद्रप्रस्थ गेट के सामने गाड़ी खड़ी करके सामान उतार रहा था। जैसे ही गाड़ी लॉक करने लगा तभी छह-सात युवक आए और डंडों से हमला कर दिया। गुजर रही पुलिस की गाड़ी से उतरकर एक पुलिसकर्मी ने आरोपियों के पीछे दौड़कर उसे बचाया।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 148,149,323,506,34 के तहत केस दर्ज किया था। आरोपी विकास और रोहित को अब पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां बचाव पक्ष की तरफ से जमानत के लिए याचिका दायर की गई। सरकारी वकील ने पुलिस की तरफ से बताया कि केस में हत्या के प्रयास की धारा 307 लगाई गई है जो गैर जमानती है।
अदालत में बचाव पक्ष ने केस में हत्या के प्रयास की धारा तोड़ने का विरोध किया। वकील ने कहा कि हत्या के प्रयास के लिए हमलावर का इरादा होना चाहिए। शरीर पर ऐसी जगह चोट लगी होनी चाहिए, जहां लगने से मौत हो जाए। हथियार भी खतरनाक को सकता है। इस केस में ऐसा कुछ नहीं है। न तो चोट ऐसी जगह लगी है, जहां चोट लगने से मौत हो सकती है। न ही पहले से कोई रंजिश या आरोपियों का इरादा शिकायतकर्ता की हत्या करना था। तीसरा केस में चोटों को लेकर डॉक्टर की सलाह भी नहीं ली गई।