Wednesday, August 6, 2025
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PGI के डॉक्टरों ने दो साल की बच्ची के मस्तिष्क से नाक के रास्ते ट्यूमर निकाला

PGI : चंडीगढ़ स्थित स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआईएमआर) के प्रोफेसर डॉ. एस.एस. ढांडपानी और उनके विशेषज्ञ सर्जनों की टीम ने चिकित्सा विज्ञान में एक और ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने नाक के माध्यम से एंडोस्कोपिक तकनीक का उपयोग करके 2 साल की बच्ची के मस्तिष्क से 4.5 सेंटीमीटर लंबा विशालकाय ब्रेन ट्यूमर (क्रैनियोफेरीन्जिओमा) सफलतापूर्वक निकाला। यह ऑपरेशन दुनिया में दूसरी बार और भारत में पहली बार संभव हुआ है।

रोगी दृष्टि संबंधी समस्याओं से ग्रस्त थी: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की यह बच्ची पिछले कुछ महीनों से गंभीर दृष्टि संबंधी समस्याओं से ग्रस्त थी। अस्पताल में जाँच करने पर पता चला कि उसके मस्तिष्क के मध्य भाग में एक बड़ा ट्यूमर था, जो ऑप्टिक तंत्रिका, हाइपोथैलेमस और अन्य अति संवेदनशील संरचनाओं के बहुत करीब था। इसके साथ ही, पिट्यूटरी हार्मोन की भी गंभीर कमी पाई गई। आमतौर पर, इतने बड़े ट्यूमर की सर्जरी खोपड़ी को खोलकर की जाती है, लेकिन डॉ. ढांडापानी की टीम ने जोखिम उठाया और एंडोनासल एंडोस्कोपी जैसे चुनौतीपूर्ण विकल्प को चुना, जो बच्चों में दुर्लभ है और जिसके लिए उच्च कौशल की आवश्यकता होती है।

इन विशेषज्ञों ने रचा इतिहास: इस अभूतपूर्व सर्जिकल प्रयास में डॉ. रिजुनिता (ईएनटी सर्जन), डॉ. शिव सोनी, डॉ. सुशांत, डॉ. धवल और डॉ. संजोग शामिल थे। बच्चे की नाक और खोपड़ी की हड्डियाँ पूरी तरह से विकसित नहीं हुई थीं, जिससे सर्जरी स्थल तक पहुँचना बहुत जटिल कार्य था। कंप्यूटर नेविगेशन और उच्च-परिभाषा एंडोस्कोप, सूक्ष्म उपकरणों और विशेष ‘कोब्लेटर’ उपकरणों जैसी उच्च-स्तरीय सर्जिकल तकनीकों की मदद से, ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया।

केवल 250 मिलीलीटर रक्त की हानि: नाक के माध्यम से की गई इस छह घंटे की एंडोस्कोपिक सर्जरी में केवल 250 मिलीलीटर रक्त की हानि हुई। मस्तिष्कमेरु द्रव के रिसाव की संभावना को देखते हुए, ऑपरेशन स्थल को नाक के अंदर से लिए गए वास्कुलराइज्ड फ्लैप्स, फेशिया और मेडिकल ग्लू की मदद से पूरी तरह से सील कर दिया गया था। सर्जरी के 10 दिन बाद, बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और सीटी स्कैन से पता चला कि ट्यूमर लगभग पूरी तरह से हटा दिया गया है।

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गौरतलब है कि डॉ. ढांडापानी की टीम ने 16 महीने की बच्ची में इसी तरह की सर्जरी (3.4 सेमी) की दुनिया की पहली रिपोर्ट पहले ही प्रकाशित कर दी है। लेकिन 2 साल की बच्ची की नाक के रास्ते 4 सेमी से बड़ा ‘विशाल ट्यूमर’ निकालने का यह भारत में पहला और दुनिया में दूसरा मामला है (पहला स्टैनफोर्ड में हुआ था)।

पीजीआई की यह सफलता न केवल चिकित्सा विज्ञान में भारत की अग्रणी स्थिति को दर्शाती है, बल्कि ‘नवाचार, तकनीक और करुणा’ के तालमेल का एक अनूठा उदाहरण भी है। इस ऐतिहासिक ऑपरेशन ने साबित कर दिया है कि चुनौती चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हो, विशेषज्ञता और समर्पण से हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

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