Tuesday, May 14, 2024
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बंदरों के आतंक से त्रस्त लोग, नगर निगम रोहतक की सुस्ती से आये दिन हो रहे जख्मी

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सेक्टरों में बंदरों का आतंक, लोग घरों में कैद, नगर निगम की सुस्ती पड़ रही भारी, प्रति बंदर खर्च होंगे 14 सौ रुपये इसके बावजूद पकड़ने का काम शुरू नहीं

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रोहतक। बंदरों का आतंक रोहतक शहर ही नहीं सेक्टरों और गांवों तक फैला हुआ है। बंदरों के उत्पात के चलते इनको भगाने की कोशिश में कई लोगों पर झपट पड़ते हैं। महिलाओं व बच्चों को बंदरों की वजह से अधिक परेशानी आती है। अचानक ही शहर और सेक्टर एरिया में बड़ी तादाद में बंदर आ धमके हैं। जिसकी वजह से लोग घरों में कैद होने पर मजबूर हो गए हैं। शुक्रवार को भी सेक्टरों में कई घंटे तक बंदरों ने खूब उत्पात मचाया। इसके अलावा आसपास की कई और कॉलोनियों में बंदरों की संख्या बढ़ गई।

अचानक कर देते हैं राहगीरों पर हमला

शहर में बंदरों की संख्या बढ़ रही है। कई स्थानों पर बंदर अपने-अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ दिखाई पड़ते हैं। इस स्थिति में बंदरों को टोका-टाकी करने पर झपटमारी की अधिक घटनाएं होती हैं। शहर में बंदरों की समस्या से तो लोगों को निजात मिली नहीं है। अब शहर के निकट के गांवों में भी बंदर लोगों को परेशान करने लगे हैं। नगर निगम काे भी लोग शिकायत कर चुके हैं, लेकिन एक भी बंदर नहीं पकड़ा गया है। जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई जगह बंदरों ने लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया जिसकी वजह से लोगों को वैक्सीन लगवानी पड़ती हैं। माना जा रहा है कि किसी अन्य जिले से रात के अंधेरे में बंदरों को यहां पर लाकर छोड़ा गया है।

निगम ने 20 दिन पहले जारी किया था टेंडर

आपको बता दें नगर निगम ने 20 दिन पहले ही बंदर पकड़ने के लिए एक एजेंसी को टेंडर जारी किया था। एक बंदर पकड़ने के बदले एजेंसी को 14 सौ रुपये का भुगतान किया जाएगा। कंपनी को इन बंदरों को केवल जंगलों में ही छोड़ना होगा। एजेंसी द्वारा इसके सबूत भी निगम को देने होंगे। लेकिन नगर निगम की सुस्ती के चलते हालात सुधरने में काफी समय लगने की सम्भावनाएं हैं, क्योंकि अभी तक किसी भी बन्दर को पकड़ने की बात सामने नहीं आई है। वहीँ जिस तरह से बंदरों की तादाद बढ़ रही है उसे देख कर लगता है कि दूसरे आस पास के जिलों से लाकर यहाँ छोड़ दिया गया है।

इन कॉलोनियों में ज्यादा समस्या

बंदरों के झुंड से शहर के एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के अलावा डीएलएफ कॉलोनी, पटेल नगर, आर्य नगर, जनता कॉलोनी, शिवाजी कॉलोनी, झज्जर चुंगी, ओल्ड हाउसिंग बोर्ड, गांधी कैप, सुभाष नगर, मॉडल टाउन, लाढ़ौत रोड, गोहना रोड, भस्त कॉलोनी, सेक्टर एक, दो, तीन, चार आदि के लोग परेशान हैं। सेक्टर एक निवासी पूनम, नीलम, मंजू कपिल, रामकिशन, राजीव ने बताया कि बंदर घर के अंदर से सामान उठा ले जाते हैं। इसके अलावा बच्चों पर भी हमला कर देते हैं। लोगों ने मांग की है कि जब तक बंदर न पकड़े जाएं, उनके एरिया में लंगूर बंदरों को बुलाने का प्रबंध किया जाए।

फाड़ देते हैं कपडे, खोल लेते हैं फ्रिज

पटेल नगर निवासी शकुंतला ने कहा कि हम तो पहले ही बंदरों से परेशान थे लेकिन पता नहीं कुछ दिनों से कहां से नए बंदरों को लाकर छोड़ दिया गया है। पहले बन्दर हटाए नहीं गए ऊपर से नए और आ गए। छतों पर कपड़े नहीं सुखा सकते क्योंकि बंदर फाड़ देते हैं। और तो और फ्रिज खोल लेते हैं और सारा सामान बिखेर देते हैं या फिर सब्जियों और फलों की थैलियां उठा ले जाते हैं। इन्हें भगाओं तो काटने दौड़ते हैं। बच्चे वाली बंदरियां बहुत खतरनाक हैं। ये ज्यादा गुर्राती हैं।

कई माह से बढ़ी शिकायते

कई माह से नगर निगम में बंदरों को लेकर ज्यादा शिकायतें आने लगी हैं। इन्ही को देखते हुए निगम की तरफ से बंदर पकड़ने के लिए टेंडर जारी किया गया था। टेंडर की शर्तों के मुताबिक एजेंसी के कर्मचारियों को बंदर पकड़ कर केवल जंगलों में ही छोड़ना होगा, जिसका सारा प्रबंध एजेंसी द्वारा किया जाएगा। इतना ही नहीं निगम के वरिष्ठ अधिकारी एजेंसी के कामकाज की निगरानी भी करेंगे। जारी टेंडर के अंतर्गत सम्बन्धित एजेन्सी को ही पकड़े गए बंदरों की देख रेख, उनके खान-पान, पकड़ने के लिए जाल/पिंजरे, बंदरों के स्वास्थ्य की जांच आदि का कार्य करना होगा। इसके अतिरिक्त जल्द ही बंदर पकड़वाने के लिए हेल्प लाइन नम्बर जारी किया जाएगा, ताकि आमजन उस पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सके।

हाउस की मीटिंगों में बंदरों की समस्या का मामला उठा था

अब तक हुई निगम की हाउस की मीटिंगों में बंदरों की समस्या का मामला छाया रहता है। पार्षद कदम सिंह अहलावत हाउस में कई बार आवाज उठा चुके हैं। जिसके बाद निगम द्वारा कई बार टेंडर लगाए गए लेकिन एजेंसी काम सही ढंग से पूरा नहीं कर पाती। इसके साथ ही बंदरों की समस्या फिर से विकराल रूप धारण कर लेती है।

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