Friday, November 22, 2024
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Papankusha Ekadashi 2024 : पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु के भक्तों ने व्रत रख की विधिवत पूजा-अर्चना

Papankusha Ekadashi 2024 :रोहतक के  माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री जी के सानिध्य में सोमवार को भक्तों ने पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करके सुख समृद्धि की मंगल कामनाएं की। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। पंडित अशोक शर्मा द्वारा प्रसाद वितरित हुआ।

इस अवसर पर प्रवचन करते हुए साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखा जाता है और हर एक एकादशी का अपना-अपना महत्व है। ऐसे ही आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी व्रत करने से श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है जहां उन्हें सुखसमृद्धि की प्राप्ति होती है, वहीं जीवन में आने वाली समस्याएं भी दूर हो जाती है।
पांपाकुशा एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की आराधना करने और व्रत कथा सुनने से व्यक्ति द्वारा किए गए पापों का नाश होता है।

साध्वी मानेश्वरी देवी ने सुनाई पापांकुशा एकादशी की व्रत और महत्व

साध्वी मानेश्वरी देवी ने पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा में बताया कि प्राचीन समय में विध्‍यांचल पर्वत पर एक बहुत ही क्रूर बहेलिया क्रोधन रहता था जो कि जीवन भर निर्दोष पशु-पक्षियों और जीवों की हत्या करता था। इसके साथ ही वह हिंसा, लूटपाट, गलत संगति का आदि था । लेकिन उसे अपनी मौत से बहुत डर लगता था। बुरे कर्मों में जीवन व्यतीत करने की वजह से जब उसका अंत समय आया तो यमराज के अति भयानक दूत उसे अपने साथ नरक ले जाने के लिए आ गए। जब उसे दूत दिखने शुरू हो गए तो वह समझ गया कि अब उसका अंत करीब आ गया है तब वह ऋषि अंगारा के आश्रम पहुंचा और ऋषि से प्रार्थना की कि आप मेरी सहायता कीजिए मै मरना नहीं चाहता । तब ऋषि अंगारा ने उनसे कहा कि पहले तुम यह संकल्प लो कि तुम श्री हरि की शरण में हो और फिर आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि यानी पापांकुशा एकादशी के दिन व्रत रखोगे तो तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे जिससे तुम्हें नरक नहीं भोगना पड़ेगा।

ऋषि के कहने पर क्रोधन ने इसी विधि से व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसे यमराज के दूतों से मुक्ति मिली और श्री हरि की शरण प्रा प्ति हुई। तब से ही लोग भी अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी शुरू कर दी ।

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