Wednesday, July 9, 2025
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नशे के खिलाफ अब होगा कानूनी, आर्थिक और सामाजिक हमला

हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) के प्रमुख ओ पी सिंह ने कहा कि नशा तस्करों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान अब केवल गिरफ्तारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नशा तस्करों की अवैध कमाई, संपत्तियों और नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। यह लड़ाई अब कानून, तकनीक और समाज- तीनों मोर्चों पर एक साथ लड़ी जाएगी।

यह बात उन्होंने पंचकूला स्थित मुख्यालय में आयोजित बैठक में उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। इस बैठक में एचएसएनसीबी पुलिस अधीक्षक पंखुड़ी कुमार, मोहित हांडा, जिला न्यायवादी सहित डीएसपी तथा प्रदेश भर के यूनिट इंचार्ज भी उपस्थित थे।

बैठक के दौरान  सिंह ने निर्देश दिए कि राज्य के प्रमुख नशा प्रभावित शहरी इलाकों की पहचान कर वहां एक समन्वित रणनीति लागू की जाए, जिसमें कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ समाज की भागीदारी और व्यापक जन-जागरूकता अभियान भी शामिल हों। उन्होंने कहा कि नशा एक सामाजिक बीमारी है, जिसे समाप्त करने के लिए जनता, प्रशासन और पुलिस सभी को मिलकर काम करना होगा। इस युद्ध को सिर्फ गिरफ्तारी से नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और व्यवहारिक बदलाव से भी जीतना होगा।

तस्करों की अवैध संपत्तियां होंगी जब्त और नष्ट

एनसीबी प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि अब कार्रवाई का केंद्र बिंदु नशा तस्करों की अवैध कमाई को समाप्त करना होगा। PIT NDPS एक्ट के तहत आदतन नशा तस्करों को हिरासत में लेकर उनकी अवैध संपत्तियों को पहले अटैच किया जाएगा, फिर जब्त कर उन्हें सार्वजनिक रूप से ध्वस्त करना अभियान की प्राथमिकता होगी। यह संदेश साफ है कि अब हरियाणा में नशे से अर्जित हर अवैध संपत्ति को कानून की नजर में लाया जाएगा और उसकी नींव पर प्रहार किया जाएगा।

छह महीने में दर्ज हुए 138 मुकदमे, 247 गिरफ्तारियां

बैठक में जनवरी से जून 2025 तक की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें बताया गया कि एनसीबी हरियाणा ने इस अवधि में कुल 138 मुकदमे दर्ज किए और 247 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। इनमें 40 मामले वाणिज्यिक मात्रा से संबंधित थे, जबकि शेष मध्यम और कम मात्रा के मामलों में थे। श्री सिंह ने इन आंकड़ों को और बेहतर करने की आवश्यकता पर बल देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि विशेष रूप से वाणिज्यिक ड्रग्स से संबंधित मामलों पर अधिक फोकस किया जाए और अदालतों में लंबित मामलों की जल्द सुनवाई करवाने की दिशा में आवश्यक कदम उठाएं जाएं।

 साइबर, आर्थिक और डिजिटल जांच होंगे नए हथियार

इस लड़ाई में तकनीक को भी मुख्य भूमिका में लाने का निर्णय लिया गया है। एनसीबी प्रमुख ने कहा कि अब ड्रग डीलिंग के डिजिटल नेटवर्क, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, सोशल मीडिया कनेक्शन और अन्य साइबर लिंक को भी खंगाला जाएगा। पुलिस इकाइयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बहुआयामी जांच के जरिए अपराधियों के हर पहलू- ‘आर्थिक, साइबर और नेटवर्किंग‘ पर नज़र रखें और डिजिटल फोरेंसिक को अपनी जांच में एकीकृत करें।

गुरुग्राम-एनसीआर में सिन्थेटिक ड्रग्स पर चिंता

बैठक में गुरुग्राम और एनसीआर क्षेत्र में बढ़ती सिन्थेटिक व फार्मास्युटिकल ड्रग्स की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की गई। एनसीबी ने इन क्षेत्रों में विशेष सतर्कता अभियान चलाने और सूचना तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को लक्ष्य बनाकर फैल रही इन दवाओं के नेटवर्क को ध्वस्त करना समय की मांग है।

हेल्पलाइन नंबर-9050891508 और 1933 पर दी जा सकती है जानकारी

एनसीबी ने आम नागरिकों को इस अभियान में सक्रिय रूप से जोड़ने के लिए दो हेल्पलाइन नंबर 9050891508 और 1933 जारी किए हैं। इन नंबरों पर कोई भी व्यक्ति अपने इलाके में चल रही नशे की गतिविधियों की जानकारी गोपनीय रूप से साझा कर सकता है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस मुहिम में सहभागी बनें क्योंकि यह लड़ाई पुलिस की अकेले की नहीं, पूरे समाज की है।

 स्कूल-कॉलेजों में अभियान और पुनर्वास को दी जाएगी प्राथमिकता

एनसीबी प्रमुख ने कहा कि नशे से जुड़ी सामाजिक जड़ों पर प्रहार करने के लिए अब स्कूल-कॉलेजों में सेमिनार, ड्रग्स के दुष्प्रभावों पर संवाद, और नुक्कड़ नाटक जैसे अभियानों की योजना बनाई जा रही है। साथ ही, नशा पीड़ितों के लिए पुनर्वास केंद्रों की स्थापना और ‘रिहैबिलिटेशन इज अ राइट’ जैसे भावनात्मक संदेशों के माध्यम से समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया जाएगा।

हरियाणा एनसीबी की इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब राज्य में नशा विरोधी अभियान केवल सतही कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा। यह एक समग्र और राज्यव्यापी जनआंदोलन बन चुका है जिसमें कानूनी शिकंजा, आर्थिक ध्वस्तीकरण और सामाजिक भागीदारी कृ तीनों स्तरों पर ठोस कार्य योजना तैयार कर ली गई है। यह मिशन सिर्फ एक सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि हरियाणा को नशा मुक्त बनाने की जन-प्रतिबद्धता है।

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