Saran Rail Engine Factory: बिहार के सारण जिले के मढ़ौरा स्थित रेल इंजन कारखाने ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान हासिल कर ली है. यहां अत्याधुनिक रेल इंजनों का निर्माण होता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब यहां निर्मित 4500 हॉर्स पावर के डीजल रेल इंजन अफ्रीकी देश गिनी को निर्यात किए जायेंगे.
Saran Rail Engine Factory: अफ्रीकी सरकार ने 100 इंजन खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया
जून के अंत तक अफ्रीका के गिनी में सारण में निर्मित रेल इंजन पटरियों पर दौड़ेंगे. अफ्रीकी सरकार ने मढ़ौरा एब्ल्यूएलपीएल से सौ इंजन खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया है. बिहार के उद्योग मंत्री नीतिन मिश्रा ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस जानकारी को साझा करते हुए बताया कि मढ़ौरा में स्थित स्थित डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा लोकाेमोटिव रेल इंजन प्लांट के इसी कारखाने से अफ्रीकी देश गिनी के सिमांडु प्रोजेक्ट के लिए 4500 एचपी लोकोमोटिव का निर्यात किया जाने वाला है. सौ इंजन की मांग है और पहली खेप जून माह के अंत तक अफ्रीकी देश गिनी के लिए रवाना हो जायेगी.
भारतीय रेल को 700 इंजनों की सप्लाई
आपको बता दें कि मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने को डब्ल्यूएलपीएल मढ़ौरा लोकोमोटिव प्लांट के नाम से भी जाना जाता है. यह देश में सबसे आधुनिक रेल इंजन बनाने वाली कंपनी बन गई है और हाल ही में 700वां रेल इंजन बनाकर रवाना किया गया. यह कारखाना 4500 हॉर्स पावर और 6000 हॉर्स पावर के डीजल रेल इंजन बनाती है. भारतीय रेल को लगभग 700 इंजनों की आपूर्ति कर चुका है.
270 एकड़ में बना हुआ है कारखाना
यह कारखाना 270 एकड़ में फैला है, जिसमें 70 एकड़ में उत्पादन संयंत्र स्थापित है. इस कारखाने का निर्माण 17 सितंबर 2018 को हुआ था. इस प्लांट में करीब 600 इंजीनियर और कुशल कर्मचारी कार्यरत हैं. भारतीय रेलवे के साथ हुए समझौते के तहत, यह प्लांट 2028 तक 1000 इंजन की आपूर्ति करेगा.
26 मई को होगा इंजनों का नामकरण
अफ्रीका में इंजन भेजने से पहले 26 मई को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन में गिनी भेजे जाने वाले इंजनों के नामकरण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. स्थानीय लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि मढ़ौरा के नाम को भी इंजनों पर अंकित किया जाए, जैसा कि गुजरात के गांधीधाम या उत्तर प्रदेश के रोजा के इंजनों पर होता है.