हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में रविवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा कारागार नियम, 2022 में ‘आदतन अपराधी’ की परिभाषा को शामिल करने के लिए संशोधन को मंजूरी दी गई। संशोधित नियमों को हरियाणा कारागार (संशोधन) नियम, 2025 कहा जाएगा।
संशोधित नियमों के तहत, हरियाणा कारागार नियम, 2022 के नियम 2, उप-नियम (1), खंड (xi) में आदतन अपराधी की परिभाषा को निम्नानुसार संशोधित किया गया है
‘आदतन अपराधी से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जिसे पांच वर्ष की किसी भी लगातार अवधि के दौरान, विभिन्न अवसरों पर किए गए किसी एक या अधिक अपराधों के लिए दो बार से अधिक अवसरों पर दोष सिद्ध ठहराया गया है और कारावास की सजा सुनाई गई हो और उसी कार्यवाही का भाग नहीं हो, ऐसा दण्डादेश को अपील या पुनरीक्षण में उलट नहीं किया गया हो।
बशर्ते कि ऊपर उल्लिखित पांच वर्ष की निरंतर अवधि की गणना करते समय, कारावास की सजा के तहत या डिटेंशन के तहत जेल में बिताई गई किसी भी अवधि को हिसाब में नहीं लिया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने हरियाणा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अध्यादेश, 2025 को मंजूरी दी
वहीं मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अध्यादेश, 2025 को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह पहल भारत सरकार के विभिन्न क्षेत्रों में अनुपालन बोझ को कम करने और छोटे अपराधों को अपराध मुक्त करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
हरियाणा जन विश्वास अध्यादेश, 2025, 17 विभागों द्वारा प्रशासित 42 राज्य अधिनियमों में निहित 164 प्रावधानों को अपराध मुक्त करने का प्रयास करता है। यह अध्यादेश छोटी तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूकों के लिए आपराधिक दंडों के स्थान पर दीवानी दंड और प्रशासनिक कार्रवाई का प्रावधान करता है। यह अप्रचलित और अनावश्यक धाराओं को भी हटाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कानूनी ढांचा अधिक पारदर्शी, कुशल और सुविधाजनक हो।
यह सुधारात्मक पहल भारत सरकार द्वारा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के अधिनियमन के बाद की गई है, जिसके तहत 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त किया गया था। केंद्र सरकार द्वारा जारी परामर्श के अनुसरण में, हरियाणा ने राज्य स्तर पर भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाने के लिए अपने कानूनों की व्यापक समीक्षा की है।
हरियाणा जन विश्वास अध्यादेश, 2025 को चौथे मुख्य सचिवों के सम्मेलन के दौरान एक प्रमुख कार्य-सूची के रूप में पहचाना गया और यह भारत सरकार के कैबिनेट सचिवालय द्वारा समन्वित चल रहे अनुपालन न्यूनीकरण और विनियमन-मुक्ति (सीआरडी) अभ्यास का एक महत्वपूर्ण घटक है। सभी संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों की भागीदारी के साथ, हरियाणा के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई कई बैठकों के बाद इस ऐतिहासिक सुधार को अंतिम रूप दिया गया।
यह अध्यादेश आज तक किसी भी राज्य सरकार द्वारा किए गए सबसे व्यापक गैर-अपराधीकरण प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें सबसे अधिक संख्या में आपराधिक प्रावधानों को हटाने का प्रस्ताव है।