ऑनलाइन पेमेंट में होने वाले फ्रॉड को रोकने के लिए भारत सरकार की ओर से बड़ा कदम उठा सकती है जिससे फ्रॉड को रोका जा सकता है। सरकारी अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी दी गई है कि सरकार दो लोगों के बीच होने वाले लेनदेन को लेकर न्यूनतम समय सीमा तय करने वाली है। इसमें दो यूजर्स के बीच 2000 से अधिक के पहले लेनदेन के लिए संभावित 4 घंटे की विंडो भी शामिल है।
अधिकारियों का कहना है कि इससे साइबर फ्रॉड में कमी आ सकती है लेकिन सरकार के द्वारा उठाए जाने वाले इस फैसले से डिजिटल पेमेंट में कमी आ सकती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरकार दो लोगों के बीच पहली बार होने वाले ट्रांजैक्शन के लिए लगने वाले न्यूनतम समय को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस नियम के अनुसार, दो लोगों के बीच 2000 रुपये से अधिक के पहले ऑनलाइन पेमेंट ट्रांजैक्शन के लिए समय सीमा 4 घंटे हो सकती है। इमीडिएट पेमेंट सर्विस (IMPS), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGD) और यहां तक कि यूपीआई के माध्यम से होने वाले डिजिटल पेमेंट इसके दायरे में आ सकते हैं।
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एक सीनियर अधिकारी के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आरबीआई, सरकार, पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर बैंक, गूगल और रेजरपे जैसी टेक कंपनियां सहित इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ इस बुधवार यानि की 29 नवंबर को होने वाली बैठक में चर्चा हो सकती है।
गौरतलब है कि साल 2022-23 में डिजिटल पेमेंट की कैटिगिरी में बैंकों ने सबसे अधिक फ्रॉड को नोटिस किया है। बीते वित्त वर्ष में बैंकों में कुल 13,530 फ्रॉड के मामले दर्ज हुए। इन मामलों में 30,252 करोड़ रुपये की ठगी की गई थी।