रोहतक : पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (PGIMS) द्वारा संस्थान के पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों के लिए एनएमसी की गाइडलाइन के तहत करवाए जा रहे बायो एथिक्स कोर्स के नए बैच के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर पीजीआई में निदेशक डॉ एस एस लोहचब , डीन डॉ कुलदीप सिंह लालर उपस्थित हुए। डॉ लोहचब, डॉ लालर , डॉक्टर सुजाता सेठी व डॉ ध्रुव चौधरी ने दीप प्रज्वलित करके नए बैच के कोर्स का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर सभी पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को कोर्स में आने के लिए बधाई देते हुए डॉ एस एस लोहचब ने कहा कि आपको इतने अच्छे कोर्स को संस्थान में करने का अवसर मिला है उसके लिए आप सभी खुद को सौभाग्यशाली समझना चाहिए कि हमें यहां पर गरीबों की सेवा करने का अवसर मिल रहा है। हमें हमेशा गरीबों का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेडिकल एथिक्स का हमें पूरी निष्ठा के साथ पालन करना चाहिए और मरीज की गोपनीयता को हमेशा बरकरार रखना चाहिए।
डॉ लोहचब ने कहा कि हमेशा मरीज को उसके इलाज के बारे में बताना चाहिए उसे विस्तार से समझाएं कि इलाज के क्या-क्या ऑप्शंस उपलब्ध हैं और मरीज के लिए क्या बेहतर रह सकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा और मरीज के रिश्ते में बेहतर तालमेल होना चाहिए और यदि कोई झगड़े की नौबत आती है तो हमें उसे किस प्रकार दूर करना है यह अवश्य आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमेशा अपने जूनियर्स को सीखाएं की मरीज से किस प्रकार से बात करनी है और उन्हें क्या बताना है और क्या नहीं बताना। उन्होंने कहा कि बहुत सारे झगड़े प्यार से बात करके रोके जा सकते हैं।
डीन डॉक्टर कुलदीप सिंह लालर ने कहा कि यह कोर्स पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि मेडिकल के क्षेत्र में नित नए बदलाव आ रहे हैं ऐसे में हमारे सामने काफी समस्याएं होती हैं और उन समस्याओं के समाधान के लिए हमें इस कोर्स में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर पूरा आत्मविश्वास होना चाहिए तभी हम सफल हो सकते हैं।
डॉ कुलदीप सिंह लालर ने बताया कि जब से उन्होंने अपने विभाग की शुरुआत की है वे हर मरीज से और उसके परिजन से कंसेंट अवश्य लेते हैं और उन्हें विस्तार से हर चीज के फायदे और नुकसान समझाया जाता है ताकि किसी प्रकार के झगड़े की कोई संभावना ही ना रहे।
डीन एकेडमिक अफेयर्स डॉक्टर ध्रुव चौधरी ने बताया कि मरीज का हमेशा खुद पर विश्वास बना कर रखें। उन्होंने कहा कि संस्थान का प्रयास है कि अगले वर्ष से प्रथम वर्षीय पीजी छात्रों के लिए ही यह कोर्स शुरू कर दिया जाए।
डॉ सुजाता सेठी ने कहा कि यहां से सीखने वाली चीजों को हमें ता उम्र अपने जीवन में अपनाकर रखना है। उन्होंने कहा कि इस कोर्स के लिए डॉक्टर आरती बहुत मेहनत कर रही हैं।
कोर्स कोआर्डिनेटर डॉ आरती ने बताया कि बायो एथिक्स पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है और उन्हें उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराता है।
डॉ जितेंद्र जाखड़ ने अपने व्याख्यान ने बताया कि बायो एथिक्स पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को मरीजों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए तैयार करता है, वही इससे छात्रों को स्वास्थ्य सेवा में प्रदर्शित को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
इस अवसर पर डॉक्टर सुजाता सेठी, डॉ जितेंद्र जाखड़ , डॉ आरती, डॉ सविता वर्मा, डॉ रितु हुड्डा, डॉ कमल आदि उपस्थित थे।