रोहतक। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (पीजीआईएमएस) को अब जल्द ही अत्यधिक संक्रामक और रोगजनक जीवों से होने वाली महामारियों की जांच के लिए दिल्ली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अब संस्थान में ही भविष्य में आने वाली महामारियों की जांच उपलब्ध हो जाएगी।
सोमवार को इसके लिए पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ;एनसीडीसी के साथ बीएसएल-3 लैबोरेट्री की संस्थान में स्थापना के लिए एक एमओयू साइन किया है। यह कहना है पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.एच.के. अग्रवाल का। उन्होंने एमओयू के लिए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई दी।
इस एमओयू के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कुलपति डाॅ.एच.के. अग्रवाल ने बताया कि एनसीडीसी के साथ हुए एमओयू के तहत बीएसएल-3 लेबोरेटरी की स्थापना का निर्णय लिया गया है। डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि पीजीआईएमएस की तरफ से निदेशक डाॅ.एस.के. सिंघल ने और एनसीडीसी की तरफ से संयुक्त निदेशक डाॅ. सुनील कुमार भारद्वाज ने आज इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। यह लैबोरेट्री पीजीआईएमएस में स्थापित की जाएगी, जो जैविक रोगजनकों और वायरसों के अध्ययन और शोध के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करेगी।
डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि पहले जैसे कोई भी महामारी अचानक आ जाती थी तो बीमारी की जांच के लिए संस्थान को एनसीडीसी दिल्ली पर निर्भर रहना पडता था, अब यह सुविधा संस्थान में शुरू हो जाने से पूरे प्रदेशवासियों को इससे फायदा मिलेगा। निदेशक डाॅ.एस.के. सिंघल ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटका, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में केवल 10 बीएसएल 3 लैब स्थापित की जाएगी, जिसमें से पीजीआईएमएस रोहतक को चुना जाना एक बहुत बडी बात है। डाॅ. सिंघल ने कहा कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्टैक्चर मिशन के तहत यह लैब संस्थान में स्थापित होगी।
चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. कुंदन मित्तल ने बताया कि यह लैबोरेट्री उच्च स्तरीय जैव सुरक्षा प्रयोगशाला होगी, जिसमें जैविक रोगजनकों और वायरसों के अध्ययन और शोध के लिए विशेष सुविधाएं होंगी। उन्होंने बताया कि इसकी स्थापना के बाद चिकित्सकों की रिसर्च और ट्रेनिंग भी करवाई जा सकेगी। माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डाॅ. अर्पणा परमार ने बताया कि अभी तक उनके विभाग के पास सिर्फ वीआरडीएल लैब थी और भविष्य में बीएसएल 3 लैब के बन जाने से हाई रिस्क पैथोजन की पहचान आसानी से हो पाएगी और चिकित्सक उसके आधार पर मरीज का इलाज करने में सक्षम हो पाएंगे।
पीजीआई के संपदा अधिकारी दुष्यंत कौशिक ने बताया कि पीजीआई में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के साथ लगती एक एकड़ जमीन हरियाणा सरकार से अनुमोदन के बाद एनसीडीसी को 99 साल के लिए लीज पर दिए जाने का प्रावधान एमओयू के अंदर किया गया है, जिसके बाद इसे बनाने और मशीनरी का सारा खर्च एनसीडीसी ही वहन करेगा।
इस अवसर पर निदेशक डाॅ.एस.के. सिंघल, चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. कुंदन मित्तल,एनसीडीसी के संयुक्त निदेशक सुनील भारद्वाज, डाॅ. पारूल पूनिया, वित्त नियंत्रक राजेश मनोचा, संपदा अधिकारी दुष्यंत कुमार, एडीए नीरज, एओ पंकज आदि उपस्थित रहे।