Saturday, May 18, 2024
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रोहतक के संकट मोचन मंदिर में कल से शुरू होगा नवरात्र महोत्सव

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शारदीय नवरात्रि में दुगास्पतशती का पाठ, दुर्गा चालीसा, देवी मंत्र ओउम ऐं ह्वीम कली चासुण्डायै विव्वे का जप करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। शक्ति पूजन के साथ भैरव पूजन भी अनिवार्य है। दुर्गासप्तशती के 6 अंगो सहित पाठन करना चाहिए।

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रोहतक। रोहतक के मंदिरों में अभी से नवरात्र महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई है। इस बार 15 अक्तूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं, जिसको लेकर माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में रविवार 15 अक्तूबर से 23 अक्तूबर तक धूमधाम, भक्तिभाव, श्रद्धा और हर्षोल्लास से नवरात्र महोत्सव मनाया जायेगा। नवरात्र के पहले दिन रविवार को मां शैलपुत्री की विधिविधान से पूजा अर्चना होगी और मंदिर में माँ दुर्गा के दरबार में कलश स्थापना व खेतरी बिजी जाएगी। रविवार सायं 6 बजे से प्रेम संकीर्तन मंडली द्वारा भजन संध्या का आयोजन होगा।

गद्दीनशीन परमश्रद्धेया गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने भक्तजनों संग दिनभर मां शेरावाली के दरबार को विशेष साज-सज्जा, वेशभूषा, श्रृंगार, साफ-सफाई तथा रंगबिरंगी लाइटों व फूल-मालाओं से सजाया। प्रतिदिन सायं 4 से 6 बजे तक दुर्गा स्तुति पाठ और साध्वी मानेश्वरी देवी के प्रवचन होंगे। माँ दुर्गा की अखंड ज्योत निरंतर जलेगी और भक्तजन दर्शन करेंगे। तत्पश्चात आरती तथा प्रसाद वितरित होगा।

साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा हर वर्ष एक विशेष वाहन से सवार होकर आती है। माँ का वाहन हाथी, ज्ञान व समृद्धि का कारक है। देवी का वाहन हाथी शुभ माना जाता है, यह लोगों को सुख समृद्धि व धनधान्य देने वाला होता है। 15 को नवरात्र शुरू होंगे तथा 22 अक्तूबर को महाअष्टमी व 23 अक्तूबर को महानवमी होगी। इस बार चित्रावैधृति में निषेघ होने से अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना व ध्वजारोपण का मुहूर्त शुभ रहेगा। रविवार को द्विस्वभाव कन्यालग्र प्रात: 4:23 से 6:38 तक तथा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से दोपहर 12:32 तक रहेगा।

शारदीय नवरात्रि में दुगास्पतशती का पाठ, दुर्गा चालीसा, देवी मंत्र ओउम ऐं ह्वीम कली चासुण्डायै विव्वे का जप करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। शक्ति पूजन के साथ भैरव पूजन भी अनिवार्य है। दुर्गासप्तशती के 6 अंगो सहित पाठन करना चाहिए। इसमें कवच, अर्गला, कीलक और तीनाों रहस्य महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती का रहस्य बताया गया है। दुर्गा सप्तशती के चरित्र का क्रमानुसार पाठ करवाने से शत्रुनाश और लक्ष्मी की प्राप्ति व सर्वदा विजय होती है तथा सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

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