फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी समेत कई मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने पर अड़े पंजाब के किसान संगठनों के बीच चंडीगढ़ में चौथे दौर की बातचीत देर रात खत्म हो गई। इसमें केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल और नित्यानंद राय के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल हुए। बैठक महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान चंडीगढ़ के परिसर में आयोजित की गई थी।
केंद्र के इस प्रस्ताव पर बैठक में मौजूद किसान नेताओं ने कहा कि वे सभी संगठनों से बातचीत के बाद मंगवाल तक यानी कल अंतिम फैसला सुनाएंगे। बैठक खत्म होने के बाद किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि हम अपने फोरम और विशेषज्ञों के साथ सरकार के प्रस्ताव (एमएसपी पर) पर चर्चा करेंगे और फिर किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। हमारी मांगें पूरी होने तक हमारा मार्च जारी रहेगा। कई अन्य मांगों पर बातचीत की जरूरत है।
पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि हम अगले दो दिनों में सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे। सरकार अन्य मांगों पर भी विचार करेगी। अगर कोई नतीजा नहीं निकला तो हम 21 फरवरी को ‘दिल्ली चलो’ मार्च जारी रखेंगे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आज कई घंटों की बातचीत में सार्थक सकारात्मक सोच के साथ कई मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसके अच्छे नतीजे आएंगे।
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पीयूष गोयल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में धान की खेती के कारण भूजल की कमी को देखते हुए किसान संगठनों ने कहा है कि पंजाब में दलहन और तिलहन और मक्का जैसी अन्य फसलों को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएं और एक ठोस नीति बनाई जाए। ताकि किसानों की आय बढ़ सके. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के भूमिगत जल को भी बचाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि किसानों ने एक बहुत ही बेहतरीन तरीका सुझाया है। इसके तहत, यदि किसान सहकारी समितियों के माध्यम से धान या अन्य पारंपरिक फसलों जैसे दलहन, तिलहन और मक्का में विविधता लाते हैं, तो उन्हें अगले 5 वर्षों तक केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी दी जाएगी। कपास की खेती का भी यही समाधान होगा।