स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को 250 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाली छोटी और मध्यम फार्मा कंपनियों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की अनुसूची एम के तहत संशोधित अच्छे विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) को लागू करने के लिए अतिरिक्त 12 महीने का समय देने का निर्णय लिया है। अब इन कंपनियों को 31 दिसंबर, 2025 तक जीएमपी के नए मानकों का पालन करना होगा। यह विस्तार उन कंपनियों द्वारा अपनी विनिर्माण सुविधाओं को अपग्रेड करने के अनुरोध के बाद दिया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय देश में दवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और वैश्विक मानकों के अनुरूप विनिर्माण प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए लिया गया है। जीएमपी का उद्देश्य उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाना है, और यह सामग्री, विधियों, मशीनों, प्रक्रियाओं, कर्मियों और पर्यावरण पर नियंत्रण के माध्यम से संभव किया जाता है। देश में लगभग 10,500 विनिर्माण इकाइयाँ हैं, जिनमें से 8,500 एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) श्रेणी में आती हैं।
भारत, निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के लिए दवाओं का प्रमुख निर्यातक है और इन देशों को डब्ल्यूएचओ जीएमपी प्रमाणन की आवश्यकता होती है। वर्तमान में, करीब 2000 एमएसएमई इकाइयाँ डब्ल्यूएचओ जीएमपी प्रमाणित हैं। मंत्रालय ने कहा कि पिछले 15-20 वर्षों में दवा निर्माण और गुणवत्ता क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं, और यह क्षेत्र निरंतर विकास की ओर बढ़ रहा है।