Friday, September 20, 2024
Homeमध्य प्रदेशMP News, भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश हर युग में प्रासंगिक और प्रेरणादायी

MP News, भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश हर युग में प्रासंगिक और प्रेरणादायी

MP News, भगवान श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन धर्म, जाति, व्यक्ति एवं लिंग से बहुत ऊपर है। लोक मान्यता है कि गुणातीत देवकीनंदन श्रीकृष्ण का अवतरण जन्माष्टमी के दिन हुआ। यह पावन संयोग है कि विष्णु जी के अष्टम अवतार श्रीकृष्ण माता देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में अष्टमी तिथि को अवतरित हुए।

जन्माष्टमी के पावन अवसर की प्रतीक्षा कर रहे भारत सहित दुनिया के कई देशों में बसे कृष्ण भक्तों में आनन्द और हर्षोल्लास है। द्वापर युग में आसुरी शक्तियों के अधर्म, अन्याय, पापाचार, अनाचार का प्रभाव चरम पर था। धर्म की रक्षा और अधर्मियों का नाश करने स्वयं भगवान को श्रीकृष्ण स्वरूप में पृथ्वी पर आना पड़ा। उन्होंने समस्त संसार को पाप, अधर्म, अत्याचार से मुक्त कर धर्म की संस्थापना की।

नन्हें कान्हा से योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण बनने की जीवन यात्रा में घनश्याम श्रीकृष्ण ने मनुष्य की भांति जीवन की अनेक बाधाएं, संघर्ष, दुःख, कष्ट, अपमान तथा पीडाओं को सह कर संसार को यह शिक्षा दी कि मनुष्य फल की इच्छा छोड़कर केवल अच्छे कर्म कर स्वयं पर विश्वास करें। योगेश्वर बनने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनके गुरु सांदीपनि जी का है, जिन्होंने प्रिय शिष्य कृष्ण को धर्म, भक्ति, ज्ञान, योग, वेद, शास्त्र, संगीत, शस्त्र, पुराणों, गुरु सेवा एवं गुरु दक्षिणा आदि विषयों की दुर्लभ शिक्षाएं प्रदान की।

गुरु दक्षिणा में भगवान श्रीकृष्ण ने महर्षि सांदीपनि जी एवं गुरूमाता को उनका खोया हुआ पुत्र पुण्डरक वापस लाकर दिया। हम सब परम सौभाग्यशाली हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा-दीक्षा के साथ उनके योगेश्वर बनने की गाथा मध्यप्रदेश में लिखी गई।

पंजाब, PSPCL ने बिजली चोरी के 2,075 मामले पकड़े, 4.64 करोड़ का जुर्माना

कंस वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भ्राता बलराम के साथ मथुरा से शिक्षा प्राप्ति के लिए महर्षि सांदीपनि की शरण में उज्जैन आये थे। नारायण (उज्जैन) में उनकी मित्रता सुदामा से हुई। श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता की मिसाल युग-युगांतर से है। भगवान श्रीकृष्ण से मित्रता की संसार को जो शिक्षा मिली, वह अनुकरणीय है।

भगवान श्रीकृष्ण ने जिस जगह शिक्षा प्राप्त की थी, उनके गुरु सांदीपनि जी का आश्रम आज भी उज्जैन में विद्यमान है, जो भगवान श्रीकृष्ण के योगेश्वर बनने का साक्षात प्रमाण है। भगवान श्रीकृष्ण, सांदीपनि जी के गुरुकुल में 64 दिन रहे। इन 64 दिनों में 64 विद्या और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया। चार दिन में 4 वेद, 18 दिन में 18 पुराण, 6 दिन में 6 शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया।

- Advertisment -
RELATED NEWS
- Advertisment -

Most Popular