Mohali News: मोहाली शहर में बंदरों की लगातार बढ़ती समस्या को देखते हुए मोहाली नगर निगम ने बंदरों को भगाने का उपाय ढूंढ लिया है। निगम अधिकारी इस काम के लिए तीन विशेष व्यक्तियों को अनुबंध पर रखने की योजना बना रहे हैं।
पता चला है कि ये लोग बंदरों को डराने के लिए लंगूर जैसी आवाजें निकालने में माहिर हैं और बंदर इस आवाज से डरकर शहर से भाग जाते हैं। सूत्रों से पता चला है कि यह प्रोजेक्ट चंडीगढ़ नगर निगम और पीजीआईएमआर में पहले से ही चल रहा है और अब जल्द ही यह मोहाली नगर निगम की सीमा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में भी देखने को मिलेगा।
बताया गया है कि नगर निगम ने इस संबंध में कई बैठकें की हैं, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है। यह भी सामने आया है कि चंडीगढ़ में यह काम करने वाली टीम पंजाब और चंडीगढ़ के डीसी रेट में अंतर होने के कारण अधिक पैसे ले रही है, इसलिए फिलहाल मामला पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है। पता चला है कि इन टीमों से कोटेशन का निर्णय ले लिया गया है तथा भर्ती किये गये तीनों व्यक्तियों को डी.सी. दर पर भुगतान किया जाएगा। कुछ अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि विदेश में छुट्टी पर गए नगर निगम कमिश्नर परमिंदर पाल सिंह ने ही इस मामले पर अंतिम मुहर लगानी बाकी है।
पानी की टंकियां टूटीं और कई नागरिकों के दांत टूटे : हाल ही में नगर निगम की हाउस मीटिंग में यह बात सामने आई है कि शहर में जंगली बंदरों की संख्या न केवल पार्कों में बल्कि घरों के आसपास भी काफी बढ़ गई है। शहर में बंदरों द्वारा लोगों को काटने, पानी की टंकियों को तोड़ने, घरों में घुसकर नुकसान पहुंचाने के कई मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं से परेशान होकर नगर निगम ने निर्णय लिया है कि बंदरों को पकड़ा तो नहीं जा सकता, लेकिन उन्हें भगाने के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले सामान्य प्रशासन एवं वन्य जीव संरक्षण विभाग ने बंदरों को संरक्षित वन्य जीवों की सूची से हटा दिया था। इस कारण बंदरों को पकड़ने या उनसे निपटने की जिम्मेदारी अब सीधे नगर निगमों पर या जहां नगर निगम नहीं है, वहां अन्य संबंधित विभागों पर आ गई है। पहले यह कार्य वन्यजीव विभाग के अधीन था। अब समस्या यह है कि उन्हें पकड़ना कठिन काम है, इसलिए उन्होंने भागने का रास्ता खोज लिया है।
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ऐसे भगाए जाते हैं बंदर: मोहाली नगर निगम द्वारा नियुक्त ये विशेष लोग बंदरों को भगाने के लिए पारंपरिक और बेहद कारगर तरीका अपनाते हैं। आमतौर पर, शहरों में बंदरों को पालना या उन्हें पालतू जानवर के रूप में रखना कानून द्वारा प्रतिबंधित है, लेकिन बंदरों की आवाजें निकालने वाले लोग बंदरों को डराने में मदद करते हैं। ये लोग बंदरों की आवाज की नकल करने में माहिर हो जाते हैं। जब वे लंगूरों जैसी तेज और डरावनी आवाजें निकालते हैं तो बंदर उन्हें असली लंगूर समझकर डर जाते हैं।
लंगूर और बंदर एक दूसरे के प्राकृतिक दुश्मन माने जाते हैं और बंदर लंगूरों की मौजूदगी से भाग जाते हैं। इतना ही नहीं, ये व्यक्ति न केवल आवाजें निकालते हैं, बल्कि इशारे भी करते हैं, बंदरों की तरह पेड़ों या छतों पर कूदते और चलते हैं। इससे बंदरों को लगता है कि कोई असली लंगूर इलाके में घुस आया है और वे डरकर भाग जाते हैं। यह भी कहा गया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह मानवीय है। इसमें बंदरों को न तो कोई नुकसान पहुंचाया जाता है और न ही उन्हें पकड़ा जाता है। उन्हें केवल आवाज और इशारों से ही भगाया जा सकता है।