मोगा के किसान जहां पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग की एडीओ मैडम यशप्रीत कौर ने भी इन किसानों की सराहना की और अन्य किसानों से भी अपील की किसानों को भी इन किसानों की तरह पराली न जलाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपना योगदान देना चाहिए।
जहां एक ओर पंजाब सरकार और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को लेकर सख्त रुख अपनाया हुआ है और लगातार पराली जलाने वाले किसानों का पंजीकरण किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ किसान ऐसे भी हैं जो पिछले सात या आठ वर्षों से पराली जला रहे हैं को आग नहीं लगाई गई है और उनके द्वारा गेहूं की सीधी बिजाई की जा रही है।
बुध सिंह वाला के किसान नोरंग सिंह ने कहा कि वह पिछले आठ साल से मल्चिंग विधि से गेहूं की बुआई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीधी बुआई से जहां गेहूं की पैदावार अच्छी होती, वहीं बारिश नहीं होती तूफ़ान के दौरान गेहूँ, लेकिन ज़्यादातर गेहूँ खड़ा रहता है। उन्होंने सरकार से भी अपील की है कि गांव की सोसायटियों में ज्यादा से ज्यादा औजार दिए जाएं ताकि छोटे किसान भी उनका फायदा उठा सकें और पराली को आग न लगाएं।
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वहीं, गांव तारेवाला निवासी शविंदर सिंह और जतिंदर सिंह ने कहा कि हमारे गांव में युवाओं का एक समूह है और हमने पिछले सात-आठ वर्षों से पराली में आग नहीं लगाई है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से जहां पर्यावरण अशुद्ध होता है, वहीं खेत की उर्वरा शक्ति भी कम होती है और मित्र कीट भी मर जाते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे पराली को आग न लगाएं और अपने स्तर पर ही कोई समाधान निकालें और सीधे गेहूं की बिजाई करें। वहीं, कृषि विभाग की एडीओ मैडम यशप्रीत कौर ने भी इन किसानों की सराहना की।