Wednesday, June 4, 2025
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देश में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को मिलेगा बढ़ावा, केंद्र सरकार ने योजना को दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर विशेष ध्यान देते हुए यात्री कारों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक पहल वर्ष 2070 शून्य कार्बन उत्‍सर्जन प्राप्त करने, सतत गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है। इसे भारत को ऑटोमोटिव विनिर्माण और नवाचार का एक प्रमुख वैश्विक केन्‍द्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना” (एसपीएमईपीसीआई/योजना) के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों की अधिसूचना जारी की है। योजना के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित करने के लिए अधिसूचना जल्द ही अधिसूचित करने का प्रस्ताव है, ताकि आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकें।

इस योजना से वैश्विक ईवी निर्माताओं से निवेश आकर्षित करने और देश को ई-वाहनों के विनिर्माण केन्‍द्र के रूप में बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। यह योजना देश में ईवी के क्षेत्र में वैश्विक विनिर्माण को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन और “मेक इन इंडिया” के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी।

योजना के अंतर्गत वैश्विक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अनुमोदित आवेदकों को आवेदन अनुमोदन तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए 15 प्रतिशत के कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर के सीआईएफ मूल्य के साथ ई-4डब्ल्यू की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) का आयात करने की अनुमति दी जाएगी।योजना के प्रावधानों के अनुरूप अनुमोदित आवेदकों को न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना आवश्यक होगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर विशेष ध्यान देने के साथ ही यात्री कारों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक दूरदर्शी योजना को मंजूरी दी है। यह ऐतिहासिक पहल वर्ष 2070 शून्य कार्बन उत्‍सर्जन प्राप्त करने, सतत गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है। इसे भारत को ऑटोमोटिव विनिर्माण और नवाचार का एक प्रमुख वैश्विक केन्‍द्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

यह योजना देश को इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार की गई है। 4,150 करोड़ रुपये की न्यूनतम निवेश सीमा के साथ यह योजना देश में दीर्घकालिक विनिर्माण वातावरण प्रदान करती है। कैलिब्रेटेड कस्टम ड्यूटी रियायतों और स्पष्ट रूप से परिभाषित घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) के माध्यम से यह योजना अत्याधुनिक ईवी तकनीकों को पेश करने और स्वदेशी क्षमताओं को पोषित करने के बीच संतुलन बनाती है।

घरेलू मूल्य संवर्धन लक्ष्यों को अनिवार्य बनाकर यह योजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर  भारत’ पहलों को और बढ़ावा देगी, साथ ही वैश्विक और घरेलू दोनों कंपनियों को भारत की हरित गतिशीलता क्रांति में सक्रिय भागीदार बनाएगी।

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