चंडीगढ़। हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में भ्रष्टाचार की शिकायत पर लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा का नोटिस मिलते ही प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली याशी कंपनी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इसके अलवा कंपनी का टेंडर एग्रीमेंट रद्द कर दिया गया है और कंपनी को होने वाले बकाया भुगतान पर भी रोक लगा दी गई है। लोकायुक्त का नोटिस मिलने के बाद सरकार ने ये कदम उठाया। प्रॉपर्टी सर्वे में भ्रष्टाचार की लगातार शिकायत मिल रही थी। कंपनी को इससे बड़ा झटका लगा है। कंपनी पर शहर की प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे ठीक से न करने आरोप लगे थे। लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने नोटिस जारी कर सरकार से इसका जवाब मांगा था।
गारंटी राशि सरकार ने की जब्त
सरकार ने लोकायुक्त में दिए रिकॉर्ड में बताया कि प्रदेश स्तर पर नगर पालिका, नगर निगम व नगर परिषद में प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे किया गया था। इसमें खामियां मिलने पर राजस्थान के जयपुर की याशी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। साथ ही कंपनी के 8 करोड़ 6 लाख 36 हजार 69 रुपये के बकाया बिलों के भुगतान पर भी रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, इस मामले में ठेका लेते समय कंपनी द्वारा जमा कराई गई लाखों रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी राशि सरकार ने जब्त कर ली है और टेंडर एग्रीमेंट भी रद्द कर दिया है।
यह है मामला
पानीपत के समालखा निवासी आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने प्रदेश के सभी 88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे को बड़ा घोटाला बताया था। उन्होंने 19 जुलाई को शहरी निकाय मंत्री कमल गुप्ता, शहरी निकाय विभाग के तत्कालीन निदेशक सहित 88 अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। इन अधिकारियों में 12 आईएएस भी शामिल हैं।
शिकायत में घोटाले की जांच सीबीआई से करा आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, सर्वे करने वाली कंपनी याशी को ब्लैक लिस्ट करने व भुगतान के 57.55 करोड़ की पेमेंट ब्याज सहित वसूल करने की मांग की थी। उनका आरोप है कि 88 शहरों में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में बड़ा घोटाला हुआ है। सर्वे में 95 प्रतिशत तक गलती की गई। बावजूद इसके कंपनी को 57.55 करोड़ का भुगतान फर्जी वेरिफिकेशन के आधार पर कर दिया गया। सभी 42,75,579 संपत्तियों के मालिक इन त्रुटियों को ठीक कराने के लिए दलालों के हाथों लुट रहे हैं।
घोटाले को ऐसे दिया अंजाम
टेंडर वर्क ऑर्डर की शर्त संख्या 37.6.7 के अंतर्गत याशी कंपनी द्वारा किए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की सभी नगर निगम के आयुक्त, नगर परिषदों के ईओ व नगर पालिकाओं के सचिवों को भौतिक सत्यापन करना था। सर्वे कार्य का मौका वेरिफिकेशन सही पाए जाने पर ही इन अधिकारियों को साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने थे। तभी भुगतान होना था, लेकिन सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताया और कंपनी को 57.55 करोड़ रुपये की पेमेंट करा दी। जबकि धरातल पर कंपनी का सर्वे पूरी तरह बोगस निकला। सर्वे में किसी का नाम गलत, किसी का क्षेत्र, किसी का टैक्स गलत तो कहीं रिहायशी प्रॉपर्टी को कॉमर्शियल बना दिया गया और कहीं कॉमर्शियल प्रॉपर्टी को रिहायशी बना दिया। कहीं किराएदार को ही बिल्डिंग मालिक बना दिया गया।
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बताया कि इसमें लोकायुक्त कोर्ट ने आठ अगस्त को सरकार से जवाब मांगा था। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने 12 सितंबर को याशी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया। हरियाणा शहरी स्थानीय निकाय विभाग पंचकूला के डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर ने बताया कि इसमें नियमानुसार आगामी कार्रवाई की जाएगी।