महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल प्रदेश में बागवानी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक होंगे। बदलावों से न केवल किसान पहले की अपेक्षा आर्थिक तौर पर ज्यादा खुशहाल होंगे। साथ ही पारंपरिक खेती से किसानों का रूझान कम होगा। जो प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने में सहायक साबित होगा।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा के नेतृत्व में बीजीय मसालों सहित गेंदे के फूल, प्याज, लहसुन पर शोध कार्य शुरू कर किसानों को उन्नत किस्मों का बीज उपलब्ध करवाया जाएगा और इसकी विधियों के बारे में जानकारियां दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि आगामी खरीफ के मौसम में 10 एकड़ में सौंफ, धनिया, अजवाइन, मैथी, प्याज ओर लहसून की खेती के साथ-साथ शोध किया जाएगा। बीज उत्पादन का एक विशेष कार्यक्रम चला कर किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाला बीज उपलब्ध करवाया जाएगा।
कुलपति ने बताया कि शोध कार्य करने के लिए वृक्षारोपण, मसाला औषधीन एवं सुंगधित शोध विभाग बनाया है, जिसके लिए वैज्ञानिकों की टीम बनाई हैं। शोध कार्य पर तेजी से कार्य हो ओर उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी। विभाग द्वारा जमीन को चिन्हित कर लिया गया हैं।
उन्होंने कहा कि बागवानी विश्वविद्यालय का उद्देश्य है कि भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़े, प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक दोहन न हो अर्थात किसान इको सिस्टम से जुडक़र खेती करें। इसके लिए एमएचयू द्वारा किसानों का लगातार जागरूक भी किया जा रहा है।