चंडीगढ़ : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा है। स्पष्ट, सरल और पारदर्शी कानून ही लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाते हैं और जनता का विश्वास शासन-प्रशासन में और अधिक मजबूत करते हैं। समय के साथ बदलती परिस्थितियों के अनुरूप कानूनों में संशोधन और नए कानूनों का निर्माण आवश्यक है। हमारा प्रयास है कि हम बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त करके आने वाले समय में ऐसे विधायी मसौदे तैयार कर सकें, जो नागरिकों के कल्याण और राज्य के विकास के लिए अधिक प्रभावी साबित हों।
लोकसभा अध्यक्ष शुक्रवार को हरियाणा विधानसभा द्वारा लोकसभा की संविधान एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के सहयोग से चंडीगढ़ सेक्टर—26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में विधायी प्रारूपण एवं क्षमता संवर्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन करने उपरांत संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण, कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष यू टी खादर फरीद, हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ कृष्ण लाल मिड्ढा उपस्थित रहे।
ओम बिरला ने कहा कि हरियाणा की धरती लोकतांत्रिक मूल्यों की सदैव प्रहरी रही है। इस राज्य ने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर देशभर में अपनी विशेष पहचान बनाई है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने किसानों की सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदकर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार लगातार लोगों के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए जवाबदेही और कानून के शासन को सुदृढ़ कर रही है। हमें भी सामूहिक प्रयासों के साथ अच्छा विधायी मसौदा तैयार करने के दृष्टिकोण से काम करना है ताकि कानून अपने उद्देश्य को पूरी तरह से पूरा कर सके।
भारत का संविधान आज भी मार्गदर्शक, विधायी प्रक्रिया में संवाद और सहमति आवश्यक
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत का संविधान आज भी हम सभी के लिए एक सशक्त मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहा है। इसके निर्माण की प्रक्रिया एक लंबी चर्चा, विस्तृत संवाद और सहमति-असहमति के दौर से गुज़री। हर विषय पर गहन बहस हुई, लेकिन अंततः सर्वसम्मति से वह संविधान बना, जो उस समय की परिस्थितियों के अनुरूप था। उस दौर में संविधान ने देश का मार्गदर्शन किया, और आज भी यह हमारे लिए जीवंत रूप में प्रेरणा और दिशा देने का कार्य कर रहा है। संविधान ने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्पष्ट शक्तियाँ निर्धारित की हैं, और इन्हीं सीमाओं में रहकर संसद एवं विधानसभाएँ जनता की आकांक्षाओं को कानूनी स्वरूप देती हैं।
उन्होंने कहा कि कभी ऐसा समय था जब विधायी विभागों में अनुभवी विशेषज्ञ बड़ी संख्या में कार्यरत थे। लेकिन समय के साथ वे सेवानिवृत्त होते गए और धीरे-धीरे विधायी मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों की कमी महसूस होने लगी।
विधायी ड्राफ्टिंग में ग्रे-एरिया (अस्पष्टता) नहीं होनी चाहिए
ओम बिरला ने कहा कि यदि प्रारूपण में पारदर्शिता, स्पष्टता और सरलता हो, तो कानून आम नागरिक के लिए उपयोगी और न्यायोचित बनता है। उन्होंने कहा कि विधायी ड्राफ्टिंग में ग्रे-एरिया (अस्पष्टता) नहीं होनी चाहिए, अन्यथा न्यायिक समीक्षा में कानून की मंशा प्रभावित होती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अच्छा लोकतंत्र वही है, जहां विधानसभाओं में व्यापक चर्चा, संवाद, सहमति और असहमति के बावजूद अंतिम उद्देश्य लोक कल्याण हो। हरियाणा विधानसभा द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण शिविर इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आने वाले समय में और बेहतर, जनकल्याणकारी एवं समयानुकूल कानून बनाए जा सकें।
उन्होंने कहा कि हर सरकार की यह प्राथमिकता रहती है कि जो भी कानून बने, वह लोक-कल्याणकारी हो। कानून ऐसा हो, जो संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा करते हुए नागरिकों का अधिकतम कल्याण सुनिश्चित कर सके।