Chaiti Chhath: छठ महापर्व में साल में दो बार मनाया जाता है. एक बार चैत्र महीने में तो दूसरी बार कार्तिक महीने में. इस पर्व के साथ लोगों की आस्था और संस्कृति जुड़ी हुई है. इसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ महापर्व में शुद्धता, संयम और पूजा विधियों का विशेष ध्यान रखा जाता है.
चैती छठ पूजा (Chaiti Chhath) की तिथियां
1 अप्रैल 2025 – नहाय-खाय- नहाय खाय के दिन व्रतधारी शुद्ध भोजन ग्रहण करते हुए व्रत की शुरुआत करते हैं.
2 अप्रैल 2025 – खरना- खरना की शाम को विशेष प्रसाद ग्रहण किया जाता है, जिसमें गुड़ और चावल की खीर का विशेष महत्व होता है.
3 अप्रैल 2025 – संध्या अर्घ्य- संध्या अर्घ्य के दिन व्रतधारी डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. यह पूजा विशेष रूप से सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है.
4 अप्रैल 2025 – उषा अर्घ्य- उषा अर्घ्य के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है. यह व्रतधारी के जीवन में सकारात्मक बदलाव और सुख-समृद्धि लेकर आता है.
छठ पूजा की समाग्री
बांस या पीतल का सूप, दूध और जल के लिए गिलास, चम्मच, सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे का कलश, बड़ी टोकरी, थाली, दीपक, खाजा, गुजिया, गुड़, दूध से बनी मिठाइयां, लड्डू, दूध, जल, शहद, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूर, धुपबत्ती, कुमकुम, कपूर, मिट्टी के दीए, तेल और बाती, नारियल, ऋतुफल, कलावा, सुपारी, फूल और माला, शरीफा, नाशपाती, बड़ा वाला नींबू, सिंघाड़ा, सुथनी, शकरकंदी, मूली, बैंगन, हल्दी, अदरक का पौधा, पत्ते लगे हुए ईख, केले, गेहूं, चावल, आटा इत्यादि. आप अपनी क्षमतानुसार समाग्री को पूजा में शामिल कर सकते हैं.