भारत का ‘सुदर्शन चक्र’ आसमान में छाया हुआ है। जो दुश्मन के हवाई हमलों को पलक झपकते ही खत्म करने की ताकत रखता है। रात के अंधेरे में जब दुश्मन भारत की सरजमीं को निशाना बना रहा है, तब हमारा ‘सुदर्शन’ यानी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम पहरेदार बनकर दुश्मन के हर मंसूबे को मात दे रहा है।
S-400 दुनिया के सबसे एडवांस लंबी दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है। यानी यह दुश्मन देश से आने वाले ड्रोन या मिसाइल को हवा में ही डिटेक्ट करता है, उसको ट्रैक करता है और उसको लैंड करने से पहले ही हवा में मार गिराता है। S-400 एक बार में 72 मिसाइल छोड़ सकता है, सिस्टम के एक्टिव होने के बाद जब इसे सिंग्नल मिलता तो महज 3 मिनट में ही टारगेट को भेदने के लिए तैयार हो जाता है।
यह सिस्टम पूरी तरह मोबाइल है, यानी इसे जरूरत के अनुसार किसी भी जगह तैनात किया जा सकता है। इसमें चार तरह की मिसाइलें होती हैं, जो अलग-अलग रेंज और ऊंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन के विमानों, मिसाइलों या ड्रोन को आसानी से निशाना बना सकती हैं, यह सिस्टम 600 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है, एक साथ 80 हवाई लक्ष्यों पर नजर रख सकता है, 72 मिसाइलों को एक साथ लॉन्च कर सकता है, स्टील्थ फाइटर, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल कुछ भी इससे नहीं बच सकता है।
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम में सर्विलांस रडार होता है। जो अपने आपरेशनल एरिया के इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा बना लेता है। इसके बाद घेरे में जब कोई मिसाइल या दूसरा वेपन आता है, रडार उसे डिटेक्ट करता है और कमांड व्हीकल को अलर्ट देता है। अलर्ट मिलते ही गाइडेंस रडार टारगेट की पोजिशन पता कर काउंटर अटैक के लिए मिसाइल लांच करता है।
दुनिया में अब तक सिर्फ चार देशों के पास ही S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है। जिसमें रूस है जो इसे बनाता है, इसके अलावा, चीन, भारत और तुर्की के पास S-400 एयर डिफेंस है।
ये भी बता दें कि भारत और रूस के बीच S-400 की 5 यूनिट के लिए 2018 में करीब 35 हजार करोड़ रुपए की डील हुई थी। लेकिन सबसे पहले चीन ने 2014 में रूस से S-400 एयर डिफेंस को खरीदा था।