Friday, May 3, 2024
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किसानों पर आंसू गैस के गोले दागने से खाप पंचायते हरियाणा सरकार से नाराज, चुनाव पर होगा असर

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अम्बाला। किसानों पर अंबाला के शंभू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले बरसाए गए। इसके बाद से बीजेपी फंसती नजर आ रही है। एक तरफ जहां पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने दिल्ली के रास्तों पर अवरोधक कार्रवाई को लेकर सरकार से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है, वहीं खाप पंचायतें भी किसानों के समर्थन में उतरती नजर आ रही है। खाप पंचायत के अध्यक्ष चौधरी सुरेंद्र सोलंकी का कहना है कि किसानों पर आंसू गैस दागना गलत है। साथ ही, किसानों के लिए अनापशनाप बयान भी ठीक नहीं है। उनका पूरा बयान नीचे देखिये, उससे पहले बताते हैं कि मोदी सरकार को किसानों से पहले खाप पंचायतों को मनाना क्यों जरूरी है।

राजनीति में खाप पंचायतों का दबदबा

राजनीति में खाप पंचायतों का खास दबदबा रहा है। इसका अंदाजा यहां से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब 2014 में जींद रैली को संबोधित किया था, तो उस समय उन्होंने खाप के योगदान को सराहा था। कहा था कि यहां विभिन्न खापों से यहां मुझे आशीर्वाद देने के लिए पधारे हैं, मैं उनकी सरदारी के लिए शत शत नमन करता हूं। दरअसल, खाप पंचायतें हमेशा से सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहती हैं। ऐसे में खाप पंचायतों को नजरअंदाज करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुमकिन ही नहीं है। यह बात अलग है कि जब से खाप पंचायतों के कांधे पर सियासी एजेंडे पूरे किए जाने लगे हैं, तब से लोगों में जागरुकता आई और अपने मुद्दों पर फोकस करके वोटिंग करने लगे हैं। फिर भी खाप पंचायतों को राजनीति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

टिकैत के आंसुओं से पिघला था खाप पंचायतों का दिल

खाप पंचायतों की ताकत का उदाहरण पिछले किसान आंदोलन में देखा गया था। किसान आंदोलन जब ठंडा हो रहा था, उसकी वक्त भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत की आंखों में आंसू आ गए थे। राकेश टिकैत जाटों की बालियान खाप के मुखिया नरेश टिकैत के छोटे भाई हैं। उनकी आंखों में आंसू देखकर यूपी से हरियाणा तक खाप पंचायतें सरकार के विरोध में सड़क पर उतर आई थी। इसके बाद आंदोलन ने जिस तरह से तेजी पकड़ी, उसे आपने भी देखा था। खाप पंचायतों के दखल के बाद किसान आंदोलन ने प्राण तोड़ते किसान आंदोलन में नई जान फूंक दी थी। यही वजह थी कि मोदी सरकार को तीनों कृषि वापस लेने पड़े थे। अब किसानों पर फिर से आंदोलन के पहले ही दिन आंसू गैस के गोले दाग दिए, जिससे पालम-360 के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी खासे नजर आ रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार को खाप पंचायतों को मनाना जरूरी है, ताकि किसान आंदोलन को शांत किया जाए और आने वाले लोकसभा चुनाव में भी नुकसान न झेलना पड़े।

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