अंबाला। जाट आरक्षण 2016 का वह आंदोलन जिसके दंगों की भेंट पूरे हरियाणा का भाईचारा चढ़ गया था। इसके बाद प्रदेश भर से 2100 आंदोलनकारी लोगों के खिलाफ आगजनी, तोड़फोड़, जाम लगाने आदि के मुकदमें दर्ज किए गए थे। इन दंगों में 30 लोगों की जान भी चली गई थी। अब इस मामले में जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने गृह मंत्री अनिल विज से मुलाकात कर मुकदमे वापिस लेने की मांग की है।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मुलाकात की। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों को वापस लेने की मांग की है। मीटिंग में जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप दहिया, प्रदेश प्रभारी आजाद लठवाल, नफे सिंह, शमशेर सिंह, आशीष फौजदार, जसविंदर पूनिया और अरुणपाल समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
प्रदीप दहिया ने कहा कि मुकदमे वापस लेने को लेकर पूर्व में समिति के पदाधिकारी गृह मंत्री अनिल विज से मिले थे और उनके सकारात्मक रुख के कारण दर्ज मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है। कुछ मामले अभी कोर्ट में लंबित है, जिनको रद्द कराने को लेकर गृह मंत्री अनिल विज से चर्चा की गई है।
बैठक के दौरान संघर्ष समिति पदाधिकारियों ने स्पेशल बैक वर्ड कैटेगरी (एसबीसी) के तहत हुई नियुक्तियों में जॉइनिंग की मांग गृह मंत्री के समक्ष उठाई। पदाधिकारियों ने कहा कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, मगर सरकार के सशर्त जॉइनिंग करा सकती है। गृह मंत्री ने सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इसके अलावा अन्य कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
आपको बता दें 15 फरवरी 2016 को जाट आरक्षण आंदोलन की शुरुआत में सांपला के सर छोटू राम संग्रहालय में सर्व खाप पंचायत के बाद दलाल खाप की अगुवाई में दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाया गया था। 2016 में हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हरियाणा में कई आगजनी की घटनाएं हुई।
हिंसा में 30 लोग मारे गए थे और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा था। आंदोलन के दौरान प्रदेशभर में करीब 2100 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। 1400 के करीब मामलों को कैंसिल भी किया जा चुका है। बचे हुए मुकदमों को वापस कराने के लिए अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति प्रयास कर रही है।