रमन चावला
रोहतक। पिछले दिनों हिट एंड रन को लेकर बनाए गए नए कानून से देश भर में बवाल चल रहा है। बड़े वाहन चालक इसके खिलाफ आ गए हैं, उनका कहना है कि यह कानून उनकी जिंदगी बर्बाद कर देगा। हालांकि यह नया कानून अभी लागू नहीं हुआ है और यह सभी प्रकार के वाहन चालकों के लिए है चाहे वह छोटा हो या बड़ा। पहले से लागू हिट एंड रन कानून के तहत आरोपी आसानी से जमानत पा जाता था और आरोप साबित होने पर अधिकतम 2 साल की सजा हो सकती थी।
आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष हिट एंड रन के मामलों में 50 से अधिक लोग अपनी जान गवाते हैं। इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस कानून में बदलाव किया है। नए कानून के अनुसार यदि दुर्घटना होने पर वाहन चालक घायल को अस्पताल ले जाता है या पुलिस को सूचित कर देता है तो यह BNS की धारा 104 के तहत आएगा जो जमानती होगा। लेकिन अगर वाहन चालक दुर्घटना के बाद वहां से भाग जाता है तो यह BNS की धारा 104(2) लगेगी जो गैर जमानती अपराध होगा, और इसमें 10 वर्ष की सजा और 7 लाख जमाने का प्रावधान होगा।
इसी कानून के चलते देश भर के ट्रक ड्राइवर इसके खिलाफ हो गए उनका कहना है कि हर बार गलती ड्राइवर की नहीं होती और दुर्घटना होने के पश्चात वहां पर उपस्थित भीड़ ड्राइवर की जान भी ले सकती है। ड्राइवर यदि वहां रुकता है तो भीड़ के गुस्से का शिकार हो जाएगा और भागने पर यह कानून उसकी जिंदगी बर्बाद कर देगा। इसी कानून को लेकर गरिमा टाइम्स प्रतिनिधि ने रोहतक के आम लोगों से बात की और उनकी राय जानी।
ट्रैवल एजेंसी संचालक प्रवीण दुआ ने इस कानून को पूरी तरह से गलत बताया, उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं की हर बार गलती ड्राइवर की ही हो, अगर हम छोटी गाड़ियों की बात करें तो ड्राइवर कभी नहीं भागते, लेकिन अगर आसपास खड़ी भीड़ हिंसक हो जाती है तो ड्राइवर के पास अपनी जान बचाने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता। उन्होंने कहा कि अगर हम शहर की बात करें तो सड़के टूटी हुई है धुंध के मौसम में विजिबिलिटी जीरो हो जाती है, लेकिन प्रशासन ने कोई पुख्ता इंतजाम नहीं करता। ऐसे हालातो में अगर दुर्घटना होती है तो हर तरफ से ड्राइवर को ही गुनहगार बनाया जाएगा और एक छोटी सी तनख्वाह पर अपना घर चलाने वाला ड्राइवर 7 लाख कहां से देगा। कानून में संशोधन की बात पर उन्होंने बताया कि किसी भी सूरत में यह कानून खत्म कर देना चाहिए। उन्होंने सरकार के फैसले का स्वागत किया कि कानून को अभी रोक लिया गया है।
गृहिणी रेनू ने बताया कि मैं अक्सर दुपहिया वाहन ही चलाती हूं और शहर के भीतर कई बार दुर्घटना होते-होते बची है, इस तरह का कानून उनके लिए तो सबक है जो बहुत तेज और अंधाधुंध ड्राइविंग करते हैं। लेकिन यदि किसी और की गलती से एक्सीडेंट होता है तो ड्राइवर को फंसाना गलत है। व्यवसायी पवन मग्गू ने बताया कि हमें अपने काम के सिलसिले में अक्सर दूर दराज के क्षेत्र में जाना पड़ता है जहां सड़क और दूसरी सुविधाएं न के बराबर होती हैं, ऐसे में अगर वहां गाड़ी आगे एकदम से कोई आ जाता है तो उस दौरान हुई दुर्घटना में चालक की गलती नहीं बनाई जा सकती। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार हालात बेकाबू हो जाते हैं तो इस हिसाब से इस तरह सख्त कानून लागू नहीं किया जाना चाहिए।