हरियाणा के फरीदाबाद में 38वें इंटरनेशनल सूरजकुंड मेले का शुक्रवार को आगाज हो गया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र शेखावत व हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने मेले का उद्घाटन किया।
इस मौके पर विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल, सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण व अंत्योदय सेवा मंत्री कृष्ण कुमार बेदी, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले राज्य मंत्री राजेश नागर और खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम की गरिमामयी उपस्थिति रही।
उद्घाटन अवसर पर संबोधित करते हुए केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज दो बड़े ऐतिहासिक आयोजनों के माध्यम से भारत देश विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। एक ओर जहां, पिछले हजारों साल से भारत को एकता के स्वरूप सांस्कृतिक विरासत का अध्याय लिखने वाले व भारत को सामाजिक समरसता और एकता के सूत्र में बांधने वाले महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। वहीं, दूसरी ओर भारत की सांझी कलात्मक विरासत का प्रदर्शन करने वाले सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का आज शुभारंभ हुआ है। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड का यह मेला केवल क्राफ्ट को ट्रेड करने या दिखाने का अवसर नहीं है, बल्कि यह शिल्पकारों और दस्तकारों की पुरातन परंपरा को दर्शाने का महान मंच है।
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला 7 फरवरी से 23 फरवरी तक चलेगा, जिसमें देश-विदेश के शिल्पकारों और कलाकारों की अद्भुत कला, शिल्प और प्रतिभा देखने को मिलेगी।
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला हरियाणा सहित देश की बन चुका पहचान : मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी
इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सूरजकुंड और सूरजकुंड का यह अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला केवल हरियाणा की ही नहीं बल्कि पूरे देश की पहचान बन चुका है। यह मेला हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को भी साकार करता है और शिल्प के साथ साथ हमारी संस्कृति को भी दुनिया के सामने रखने का अवसर देता है। उन्होंने इस मेले के आयोजन के लिए हरियाणा पर्यटन विभाग, केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय, वस्त्र, संस्कृति और विदेशी मामले मंत्रालयों और सूरजकुंड मेला प्राधिकरण के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले इस मेले में एक राज्य को थीम स्टेट और एक देश को भागीदारी देश बनाया जाता था। इस बार मेले को ‘शिल्प महाकुम्भ’ का आकार देने के लिए पहली बार मेले में दो राज्यों-ओडिशा और मध्यप्रदेश को थीम स्टेट बनाया गया है। सात देशों के संगठन बिम्सटेक को भी भागीदार बनाया गया है। बिम्सटेक में भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। भले ही ये सात अलग-अलग देश हैं, लेकिन इनकी संस्कृति में समानता है और हम सबके हित एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन देशों की शिल्पकला बहुत समृद्ध है।
उन्होंने कहा कि हम सबके लिए यह गर्व की बात है कि इस समय प्रयागराज में भी आध्यात्मिक शिल्प के प्रतीक भारतीय संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का महान पर्व ‘महाकुम्भ’ चल रहा है। इसमें लाखों साधु-संत अपने वर्षों के त्याग और तप से मानव समाज के कल्याण को समर्पित होते हैं। वहीं, दूसरी ओर इस अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में सैकड़ों ऐसे शिल्पकार मौजूद हैं, जिन्होंने वर्षों के अथक प्रयास और साधना से अपनी शिल्प कला को निखारा है। इन्होंने हमारी प्राचीन सभ्यता व संस्कृति को अपने उत्पाद के माध्यम से विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया है। वैसे भी शिल्प का मानव सभ्यता और संस्कृति को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान है। संसार की सभी प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास शिल्प के इतिहास को भी प्रकट करता है। मानव-जीवन में कला, संस्कृति और संगीत का बहुत महत्व है। यह मेला भी इसी महत्व को दिखाने वाला मंच है।
मेले में 42 देशों के 648 प्रतिभागी इसमें हिस्सा लेंगे
इस बार मेले की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी भी अभूतपूर्व होगी। मेले में 42 देशों के 648 प्रतिभागी इसमें हिस्सा लेंगे, जिनमें मिस्र, इथियोपिया, सीरिया, अफगानिस्तान, बेलारूस, म्यांमार और बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल के सदस्य देश शामिल हैं।
मेले के दौरान पर्यटकों को संगीत नृत्य का अनुपम संगम देखने को मिलेगा, जिसमें देशभर के सुप्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पद्मश्री अवार्डी महावीर गुड्डू, डॉ. सतिंदर सरताज, ममे खान, पापोन और बैंड्स, सौरव अत्री की मनमोहक संगीत प्रस्तुतियां रहेंगी। साथ ही डॉ. इरशाद कमाल की काव्य संध्या सुनने को मिलेगी। इनके अलावा प्रिय वेंकटरमन और देविका देवेंद्र एस. मंगला मुखी की शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति रहेगी। विख्यात हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा और गौरव गुप्ता अपने हास्य रस से पर्यटकों को हंसी से लोटपोट करेंगे। इस बार ओडिशा और मध्य प्रदेश के पारंपरिक सांस्कृतिक मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे। साथ ही एनआईएफटी मोहाली द्वारा भव्य फैशन शो देखने को मिलेगा। लोक कलाकारों में ही शामिल बंचारी, बीन सपेरा, नगाड़ा पार्टी, जादू शो, बांस वॉकर, बहुरूपिया, बायोस्कोप और कठपुतली शो मेले में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगे। उत्तर-पूर्वी शिल्प और हथकरघा विकास निगम मेले का सांस्कृतिक साझेदार होगा, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों की समृद्ध शिल्प, वस्त्र और खानपान परंपराओं को प्रस्तुत करेगा।