Generation BETA: भारत में ‘जेनरेशन बीटा’ के पहले बच्चे का जन्म मिजोरम के आइजोल में हुआ है। इस बच्चे का जन्म 1 जनवरी 2025 को आधी रात 12 बजकर 3 मिनट पर हुआ। नवजात का नाम फ्रेंकी रेमरूआतदिका जेडेंग रखा गया है। जन्म के समय उसका वजन 3.12 किलोग्राम था और वो पूरी तरह स्वस्थ है।
ये पीढ़ी तकनीकी युग में जन्मी नई पीढ़ी को परिभाषित करती है, जिसमें आधुनिक डिजिटल सुविधाएं और तकनीकी प्रगति जीवन का अभिन्न हिस्सा होंगी। बेबी फ्रेंकी न केवल 2025 में भारत का पहला नवजात शिशु ही नहीं, बल्कि अपनी पीढ़ी का भी पहला बीटा बच्चा है।
जेनरेशन बीटा कहने का ये है कारण
दरअसल, 1 जनवरी 2025 से जन्मे बच्चों को ‘जेनरेशन बीटा’ कहने के पीछे का सबसे बड़ा कारण ये है कि ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीकी विकास के युग में पले-बढ़ेंगे। जिसे आमतौर पर जेन बीटा के नाम से जाना जाता है। साथ ही पिछली बार जब दुनिया में पीढ़ीगत बदलाव हुआ था, तो वो 2010 में हुआ था। जब जेन अल्फा बच्चे पैदा हुए थे। ये जेनरेशन एक ऐसी दुनिया में पलेगी, जहां टेक्नोलॉजी न केवल जीवन का हिस्सा होगी, बल्कि हर पहलू को गहराई से प्रभावित करेगी।
पीढ़ियों का सांस्कृतिक और तकनीकी आधार
हर जनरेशन का नाम उस समय की प्रमुख घटनाओं और प्रवृत्तियों को दर्शाता है। आमतौर पर, हर 15 से 20 साल में पीढ़ी के नाम में बदलाव आता है, जो उस समय के सामाजिक और वैश्विक परिवर्तनों का परिचायक होता है। आइए जानते हैं कि किस पीढ़ी को क्या नाम दिया गया है।
हर पीढ़ी का नामकरण उस दौर की प्रमुख सांस्कृतिक, आर्थिक और तकनीकी घटनाओं के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, 1901 से 1924 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को ‘ग्रेटेस्ट जेनरेशन’ कहा गया, जिसने महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध का सामना किया। इसके अलावा, साल 1928-1945 के बीच जन्म लेने वाली पीढ़ी को साइलेंट जेनरेशन कहा जाता है।
इसके बाद साल 1946-1964 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को बेबी बूम पीढ़ी कहा जाता है। इसके अलावा लैची पीढ़ी के रूप में जानी जाने वाली पीढ़ी जो 1965-1980 के बीच पैदा हुई थी। उसे जनरेशन एक्स कहा जाता है।
‘Generation BETA’ की शुरुआत 1 जनवरी 2025 से हो गई है, और ये 2039 तक चलने वाली पीढ़ी होगी। यह पीढ़ी अपने स्मार्ट दृष्टिकोण, तकनीकी समझ और आधुनिक जीवनशैली के लिए पहचानी जाएगी।