रोहतक। रोहतक कोर्ट ने एक ही दिन में 3 नाबालिग किशोरियों को न्याय दिया है। सबसे बड़ी बात है दो किशोरियों से दुष्कर्म करने वाले उनके अपने थे। एक किशोरी को उसके पिता ने अपना शिकार बनाया तो दूसरी किशोरी मानसिक रूप से कमजोर थी, उसे सगे चाचा ने ही अपनी हैवानियत का शिकार बना लिया। तीसरी किशोरी के आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी करना पड़ा। ये तीनों फैसले एएसजे नरेश कुमार की ही कोर्ट अदालत में दिए गए हैं। कोर्ट ने दो दोषियों को 20-20 साल के सलाखों के पीछे भेज दिया है।
पिता ने बेटी से की थी धिनौनी हरकत
पहले मामले में दो साल पहले 14 साल की बेटी से दुष्कर्म करने के दोषी 51 वर्षीय पिता को एएसजे नरेश कुमार की अदालत ने 20 साल कैद और तीन हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। खास बात यह है कि वार्ड पार्षद की गवाही भी केस में अहम रही। नगर निगम वार्ड नंबर एक के पार्षद कृष्ण कुमार ने पुलिस को शिकायत दी थी कि नवंबर 2021 में उसके वार्ड के एक व्यक्ति ने फोन किया किया वह कमरे किराये पर देता है। उसने बिहार के एक व्यक्ति को कमरा दिया था। उसकी पत्नी 28 दिन पहले अपने मायके बिहार चली गई। कमरे में व्यक्ति अपनी 14 साल की बेटी और 9 साल के बेटे के साथ है। बेटी ने बताया कि उसके साथ रात 11 बजे पिता ने गलत काम किया है।
सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। वीरवार को अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे आईपीसी की धारा 354ए के तहत तीन साल की कैद, 500 रुपये जुर्माना, जुर्माना न भरने पर 15 दिन की अतिरिक्त सजा, 376 व 6 पॉक्सो में 20-20 साल कैद व एक-एक हजार रुपये जुर्माना, धारा 506 में एक साल की कैद व 500 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। पार्षद कृष्ण कुमार ने बताया कि इंसानियत के नाते उसने न केवल केस दर्ज कराया, बल्कि अदालत में गवाही भी दी। बताया कि उसके सामने बच्ची के बयान दर्ज हुए थे।
चाचा ने नाबालिग भतीजी के साथ की थी हैवानियत
दूसरे मामले में रोहतक कोर्ट में एएसजे नरेश कुमार की अदालत ने नाबालिग मानसिक कमजोर भतीजी से दुष्कर्म और कुकर्म करने के दोषी चाचा को अदालत ने 20 साल की कैद की सजा सुनाई है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मार्च 2022 में रोहतक के एक नजदीकी गांव के एक व्यक्ति ने थाने में शिकायत दी कि वह काम के चलते बाहर गया हुआ था, जबकि उसकी पत्नी कपड़े धोने के लिए घर से बाहर चली गई। उसकी 14 साल की बेटी गली में खेल रही थी। 49 वर्षीय उसका चचेरा भाई आया और बेटी को इशारा करके अपने घर में बुला लिया। आरोपी ने शराब पी रखी थी। उसने बेटी के साथ गलत काम किया। जब उसकी मां घर आई तो बेटी गुमशुम दिखी, लेकिन कुछ बता नहीं सकी।
एक सप्ताह बाद जब उसके पिता घर आए तो उसने इशारों में कुछ बताना चाह रही थी। पिता समझ नहीं पाए तो उसने अपनी बहन को इशारों में समझाया कि उसके साथ किसने क्या किया। बड़ी बेटी ने पिता को पूरे मामले से अवगत कराया। पुलिस ने नजदीक थाने में शिकायत दी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, जिसके खुद के बच्चे भी हैं। तभी से जिला अदालत में केस की सुनवाई चल रही थी। कोर्ट में पीड़िता की गवाही हुई तो कोर्ट में एक्सपर्ट को बुलाया गया। एक्सपर्ट के सामने मानसिक कमजोर बच्ची ने आरोपी की तरफ इशारा किया। एक्सपर्ट ने इसकी पुष्टि की। वह डरी नहीं थी। अदालत ने आरोपी को वारदात का दोषी मानकर सजा सुनाई है।वीरवार को एएसजे नरेश कुमार की अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 20 साल कैद की सजा सुनाई।
पुलिस नहीं दे पाई डीएनए रिपोर्ट, आरोपित बरी
तीसरे मामले में एएसजे नरेश कुमार की ही कोर्ट में एक दुष्कर्म केस में फैसला दिया गया। इसमें पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे। थाना अर्बन एस्टेट पुलिस तीन साल तक चले मामले में कोर्ट में दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के गर्भ में पल रहे बच्चे और आरोपित की डीएनए रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाई। कोर्ट ने आरोपित के हक में फैसला सुनाते हुए उसे बरी कर दिया। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद अहलावत ने बताया कि दिसंबर 2020 में अर्बन एस्टेट थाना के एक एरिया से नाबालिग के अपहरण का केस दर्ज हुआ था।
पुलिस ने दो माह बाद पीड़िता और आरोपित को रिकार्ड में हरिद्वार में मिला बताया। उस समय किशोरी गर्भवती थी। अब कोर्ट ने आरोपित राहुल को बरी किया है। दुष्कर्म केस की सुनवाई करते हुए पुलिस ने आरोपित और किशोरी की गर्भ में पल रहे बच्चे की डीएनए जांच सैंपल लिए। लेकिन तीन साल की सुनवाई में वो डीएनए रिपोर्ट व अन्य सैंपल की रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई। वहीं किशोरी ने भी कहा कि ये बच्चा उसके किसी रिश्तेदार का है और वो उसका नाम नहीं बताएगी।