अंबाला। हरियाणा में अवैध नशामुक्ति केंद्र का भंडाफोड़ हुआ है। जब वहां पर छापेमारी हुई तो काफी दयनीय हालत में 32 युवक बंधक मिले। उनके साथ काफी अमानवीय हरकतें हुई थी जिन्हे देख कर टीमों के रोंगटे खड़े हो गए। मामला अंबाला के गांव मटेड़ी शेखां का है जहां पिछले 10 महीने से अवैध नशामुक्ति केंद्र चल रहा था।
स्वास्थ्य विभाग,जिला प्रशासन और पुलिस की करीब 9 घंटे तक चली संयुक्त कार्रवाई के दौरान मौके से जिला प्रशासन की टीम ने 32 लड़कों को यहां से निकाला जिनकी हालत काफी खराब थी। इसमें 29 लड़के पंजाब से थे जबकि एक-एक पंचकूला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र के पिहोवा का है। शातिरों ने श्री बालाजी फाउंडेशन के बैनर तले यह नशा मुक्ति केंद्र चलाया था। ताकि इस नाम के चलते कोई इसे पकड़ न सके।
नग्गल थाना पुलिस ने फाउंडेशन के सदस्यों पर केस दर्ज कर लिया है। यहां रखे गए लड़कों ने बताया कि उन्हें नशे की लत लग गई है। उनके माता-पिता ने उन्हें ठीक होने के लिए यहां छोड़ा था। लेकिन यहां न तो कभी कोई डॉक्टर उन्हें देखने आता था न ही उन्हें कोई दवा दी जाती थी। इतना ही नहीं उन्हें नंगा करके पीटा जाता था। घरवालों से कई-कई महीने बात भी नहीं करने दी जाती। लड़कों ने बताया कि उन्हें यहां पर कैदियों की तरह बंधक बना कर रखा गया था। पीड़ित युवकों ने बताया कि संचालक उन्हें इधर-उधर भी नहीं जाने देते थे।
जिला प्रशासन को इस नशा मुक्ति केंद्र की सूचना मिली थी। इसी आधार पर डा.राजेंद्र राय की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया गया। इसमें डा. विपिन भंडारी नोडल अधिकारी पीएनडीटी, डा. दिपांशी, एडीसी कार्यालय से अनिल, सोशल वेलफेयर कार्यालय से संजीत, नग्गल थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सुनीता ढाका व उनकी टीम शामिल रही। टीम ने दोपहर करीब 12 से रात 9 बजे तक इस कार्रवाई को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि इस चलाने वाले भी राजपुरा और पटियाला के ही हैं। इनमें प्रिंस और गुरजीत जोकि राजपुरा के रहने वाले हैं।
टीम की पूछताछ में मौके पर मिले पीड़ित युवकों ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन्हें इस नशा मुक्ति केंद्र में दो वक्त का खाना दिया जाता था वह भी बेहद खराब होता था। दाल में पानी ही पानी होता था। यही हाल रोटी और सब्जी के भी थे। जब टीम ने इस नशा मुक्ति केंद्र की रसोई में जाकर देखा तो वहां से बेहद दुर्गंध आ रही थी। थोड़ी देर वहां खड़े रहना भी मुश्किल था। किचन में बड़े-बड़े चूहे घूम रहे थे। ऐसे नारकीय हाल शायद ही किसी रसोई घर के होते होंगे।
इस अवैध नशा मुक्ति केंद्र में एक बड़ा हाल था जिसमें इन सभी को रखा गया था। हैरान करने वाली बात यह है कि इन सभी के लिए एक ही शौचालय बनाया गया था। शौचालय के साथ-साथ स्नान गृह भी एक ही था। इनके हाल भी बेहद दयनीय पाए गए। बेसमेंट में बनाए गए हाल में इतनी ज्यादा बदबू थी कि वहां टीम को एक मिनट भी खड़े होना मुश्किल हो गया था क्योंकि इसमें बाहर से हवा तक आने की कोई व्यवस्था नहीं थी। इतना ही नहीं इनके आराम करने के लिए जो बेड रखे गए थे उनसे भी बदबू आ रही थी।
आपको बता दें 5 अक्टूबर को गुरुग्राम में भी अवैध नशा मुक्ति केंद्र का भंडाफोड़ हुआ था जिसे झज्जर का एक व्यक्ति संचालित कर रहा था। सूचना के आधार पर सीएम फ्लाइंग, स्वास्थ्य विभाग और एसडीएम गुरुग्राम की सयुंक्त टीम की ओर से थाना सेक्टर-5 एरिया में नई उम्मीद के नाम से अवैध रूप से चल रहे नशा मुक्ति केंद्र पर छापा मारा गया। वहां पर भी 31 मरीज मिले थे लेकिन उन्हें वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा था। आरोपी संचालक विनय राठी ने बताया कि वह करीब तीन साल से इस नशा मुक्ति केंद्र को चला रहा है। वह बिना डॉक्टर की सलाह लिए ही मरीज को अपनी तरफ से ही दवाइयां देते हैं।