मां बनना दुनिया की हर एक महिला के लिए सबसे खुशी का पल होता है लेकिन कई महिलाओं को इसके लिए लंबी प्लानिंग करनी पड़ती है जबकि कई महिलाओं को अचानक पता चलता है कि वो प्रेग्नेंट हैं। वास्तव में महिला के शरीर में किसी नई जिंदगी का पनपना एक जटिल प्रक्रिया है और ये कई चरणों में होती है। इसमें समय भी लगता है. जबकि कई बार महिलाएं मान लेती हैं कि उन्होंने बिना प्रोटेक्शन के रिलेशन बनाया है तो अब वो जल्द से जल्द प्रेग्नेंट हो जाएंगी। ऐसा ना होने पर महिलाएं तनाव लेने लगती हैं। इस खबर में हम आपको प्रेग्नेंसी की प्रक्रिया और उसमें लगने वाले समय से जुड़े हर एक पहलू के बारे में बताएंगे। साथ ही आपको कब और कैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट करना है, इसकी भी जानकारी देंगे।
ओव्यूलेशन की अवधि में बना संबंध तो पक्का प्रेग्नेंट होंगी आप
ओव्यूलेशन की अवधि में महिला सबसे जल्दी और आसानी से प्रेग्नेंट हो सकती है। महिला के अंडाशय से अंडे के बाहर निकलने की प्रक्रिया को ओव्ल्यूलेशन कहा जाता है। ये हर महीने पीरियड्स के दो हफ्ते पहले होता है। इस दौरान एग महिला के फैलोपियन ट्यूब में पुरुष के वीर्य से मिलने का इंतजार करता है और इस अवधि को फर्टिलिटी विंडो कहा जाता है। यही वो समय है जब महिला का शरीर सबसे ज्यादा फर्टाइल होता है। इस अवधि में संबंध बनाने से आसानी से गर्भधारण किया जा सकता है।
बिना प्रोटेक्शन सेक्स
अगर आपने ओव्यूलेशन के दौरान बिना प्रोटेक्शन के रिलेशन बनाए हैं तो इस अवधि में स्पर्म की एग को फर्टिलाइज करने की प्रक्रिया भी तेज होती है।ओव्यूलेशन में महिला का एग 12 से 24 घंटे तक फर्टिलाइजेशन (निषेचन) के योग्य होता है। वहीं, शुक्राणु तीन से पांच दिन तक महिला के अंदर जीवित रहता है। इस दौरान वो एग के साथ सफल निषेचन के लिए इंतजार करता है। इसलिए अगर आप बच्चे की प्लैनिंग कर रही हैं तो इसके लिए ये अवधि सबसे बेस्ट है। एग जब एक बार फर्टिलाइज हो जाता है तो वो गर्भाशय की दीवार पर चिपक जाता है जिसके बाद प्लैसेंटा बनना शुरू होता है।
प्रेग्नेंसी हार्मोन
प्लैसेंटा बनने के बाद वो कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG)हार्मोन रिलीज करता है जिसे प्रेग्नेंसी हार्मोन भी कहा जाता है। गर्भधारण के 10 दिन बाद ही गर्भवती महिलाओं के ब्लड और यूरीन में एचसीजी दिखाई देने लगता है। कई प्रेग्नेंसी टेस्ट भी इसी हार्मोन के जरिए गर्भावस्था डिटेक्ट करते हैं। इस हार्मोन के रिलीज होने का मतलब है कि आप गर्भवती हैं।
कब और कैसे करें प्रेग्नेंसी टेस्ट
गर्भावस्था की जांच जिसमें घर पर किया जाना वाला टेस्ट और डॉक्टर द्वारा किया जाना वाला ब्लड टेस्ट, दोनों ही गर्भावस्था का पता लगाने के लिए एचसीजी के स्तर को मापते हैं। गर्भावस्था के पहले दो से तीन महीनों के दौरान इसका स्तर तेजी से बढ़ता है और फिर धीरे-धीरे गिरना शुरू हो जाता है, लेकिन गर्भावस्था की पूरी अवधि के दौरान ये हार्मोन शरीर में मौजूद रहता है।
कितनी भरोसेमंद है होम प्रेग्नेंसी किट
अगर आप प्रेग्नेंसी प्लैन कर रही हैं और अगर आपके दिमाग में भी बाजार में मिलने वाली प्रेग्नेंसी टेस्ट किट को लेकर डाउट्स हैं तो यहां हम आपके डाउट्स पूरी तरह क्लियर कर देंगे। प्रेग्नेंसी टेस्ट किट बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि वो 99 प्रतिशत सही रिजल्ट बताता है जो बात पूरी तरह सही है। वास्तव में प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए कई विकल्प होने के बावजूद इन दिनों महिलाएं प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल कर रही हैं जिसका सबसे बड़ा कारण है कि ये सुविधाजनक है और आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है।
क्या है डॉक्टरों की राय
गायनोकोलॉजिस्ट जोइ रॉबिन्सन टिडमोर कहती हैं, गर्भावस्था की जांच के लिए अब अधिकांश महिलाएं प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का उपयोग कर रही हैं और ये गर्भावस्था का पता लगाने के लिए डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले ब्लड टेस्ट की तरह ही सुरक्षित, सटीक और तेज है।
घर पर कब और कैसे करें प्रेग्नेंसी टेस्ट
बाजार में मिलने वाली प्रेग्नेंसी टेस्ट किट यूरीन में HCG हार्मोन का पता लगाकर प्रेग्नेंसी तय करती हैं। शुरुआत में गर्भावस्था का पता लगाने के लिए अधिकांश लोग यही तरीका अपनाते हैं। अगर आपके पीरियड्स रेगुलर हैं तो आप अपने लास्ट पीरियड्स के पहले दिन से चार सप्ताह बाद होम प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती हैं।ये ओव्यूलेशन के दो हफ्ते बाद और ठीक आपके नेक्स्ट पीरियड से पहले का समय होता है। अगर आपके पीरियड्स का साइकल 28 दिनों का है तो ये गर्भावस्था की जांच का सही समय है।
पीरियड्स पूरी तरह रेगुलर
अगर किसी महिला के पीरियड्स रेगुलर नही हैं तो वो बिना प्रोटेक्शन सेक्स करने के दो हफ्ते बाद होम प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती है। इस दौरान मिलने वाले नतीजे भी 99 प्रतिशत सटीक होते हैं। सामान्य तौर पर प्रेग्नेंसी टेस्ट 99 प्रतिशत सटीक होते हैं. बाजार में कई टेस्ट किट्स के जरिए मिस्ड पीरियड से पहले भी प्रेग्नेंसी का पता लगता सकते हैं लेकिन आप इनका इस्तेमाल तब ही करें जब आप पूरी तरह कॉन्फिडेंट हों कि आपके पीरियड्स पूरी तरह रेगुलर हैं। अगर वो रेगुलर रहते हैं और कभी दो दिन लेट हुए तो आप इस स्थिति में होम प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकते हैं।
ब्लड टेस्ट
कई बार डॉक्टर गर्भावस्था की जांच के लिए ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहते हैं। ऐसा ज्यादातर उन लोगों के लिए किया जाता है जो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट करा रहे होते हैं। इसके अलावा किसी सर्जरी या किसी मेडिकल प्रॉसीजर से पहले भी प्रेग्नेंसी की जांच की जाती है। हालांकि, ब्लड टेस्ट होम प्रेग्नेंसी टेस्ट से जल्दी गर्भावस्था की जांच कर सकता है।
प्रेग्नेंसी के संकेत
प्रोफेशनल्स का कहना है कि हर एक गर्भधारण में उसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। आप सिर्फ एक-दो लक्षणों के आधार पर गर्भावस्था का पता नहीं लगा सकती हैं। गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण भी आपके लास्ट पीरियड के पहले दिन के आठ सप्ताह से पहले दिखाई नहीं देते हैं। वहीं, कुछ लक्षण पीरियड मिस होने के तुरंत बाद दिख जाते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षणों में चक्कर, उल्टी, ब्रेस्ट टेंडरनेस, थकान, पेट में ऐंठन-दर्द, टेस्ट और सूंघने की क्षमता में बदलाव होने का मतलब गर्भावस्था हो सकता है।
होम प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आए तो क्या करें
अगर आप प्रेग्नेंसी की प्लैनिंग कर रही थीं और होम प्रेग्नेंसी टेस्ट के पॉजिटिव आने के बाद संतुष्ट हो गई हैं तो इसका मतलब ये नहीं अब आपको डॉक्टर से जांच कराने की जरूरत नहीं है। दरअसल डॉक्टर भी होम प्रेग्नेंसी टेस्ट के रिजल्ट्स पर पूरा भरोसा करते हैं लेकिन उसके बाद भी डॉक्टर की जांच जरूरी है। दरअसल डॉक्टर ही अलग-अलग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड की मदद से आपको बता सकता है कि आपकी प्रेग्नेंसी पूरी तरह नॉर्मल और हेल्दी है। इसलिए होम प्रेग्नेंसी के बाद भी डॉक्टर से संपर्क जरूर करें और उसकी सलाह पर खानपान और जीवनशैली में बदलाव करें।
प्रेग्नेंसी कन्फर्म होने के बाद करें ये काम
अगर आप प्रेग्नेंसी के पहले कोई दवाइयों का सेवन कर रही थीं तो प्रेग्नेंसी कन्फर्म होने के बाद डॉक्टर के परामर्श के बाद ही वो दवाएं आगे जारी रखें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह पर विटामिन्स का सेवन शुरू कर दें। धूम्रपान और शराब का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा नहीं है। इन्हें तुरंत छोड़ दें। खूब सारा पानी पिएं, हेल्दी डाइट और अच्छी नींद लें. इसके अलावा, प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर या किसी प्रोफेशनल की सलाह पर हल्की-फुल्की कसरत भी करनी चाहिए।