Thursday, August 21, 2025
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मंदिर जाकर माथे पर लगाते है तिलक, तो बिल्कुल भी न करें ये गलती, वरना लगेगा भारी दोष

नई दिल्ली। सनातन परंपरा में देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग किए जाने वाले तिलक का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। ईश्वर की पूजा का अभिन्न अंग माना जाने वाला तिलक, अलग-अलग देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार का प्रयोग में लाया जाता है। जैसे भगवान शिव के लिए भस्म से बना तिलक तो वहीं भगवान विष्णु के लिए पीले चंदन का तिलक प्रयोग में लाया जाता है। देवी-देवताओं के श्रृंगार के लिए प्रयोग में लाया जाने वाले तिलक को ईश्वर का महाप्रसाद भी माना गया है।

जब हम किसी देवी-देवता के मंदिर जाते हैं, तो पुजारी या फिर स्वयं ही उनके चरणों से सिंदूर, कुमकुम लेकर अपने मस्तक पर लगा लेते हैं। हिंदू धर्म में तिलक का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि अगर घर में कोई शुभ काम हो रहा है और उसमें तिलक नहीं लगाया है, तो पूजा संपन्न नहीं होती है। बता दें कि तिलक दोनों भौहों के बीच में अपने कंठ और नाभि में लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

मान्यता है कि तिलक लगाने से देवी-देवता का आशीर्वाद मिलता है और मन एकाग्र होने के साथ-साथ शांत होने में मदद करता है। लेकिन कई बार जब हम किसी मंदिर आदि में जाते हैं और वहीं से तिलक लगाकर आते हैं, तो थोड़ी देर बात ही इसे हटा देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, ऐसा करने से देवी-देवता रुष्ट हो जाते हैं और आपको किसी न किसी दोष का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार, तिलक का महत्व। इसके साथ ही मंदिर से तिलक लगाकर आने के बाद कौन सी गलती करने से बचना चाहिए।

माथे पर तिलक लगाने का महत्व

महाशिवपुराण के अनुसार, माथे पर तिलक लगाना काफी शुभ माना जाता है। इससे कलयुग आपका पीछा नहीं करता है। आप माथे पर सिंदूर, चंदन, गोपी चंदन आदि का तिलक लगा सकते हैं। मस्तक पर तिलक लगाने से कलयुग परेशान नहीं करता है। इसका कारण श्री कृष्ण से भी जोड़ा जाता है। जब भगवान कृष्ण गोकुल में रहा करते थे, तो वहां यमुना पर कालिया नाम का एक नाग रहने लगा। जिसने अपने विष से पूरी यमुना को विषैला बना दिया था। ऐसे में नदी का जल पीकर जलीय जीवों के साथ अन्य लोग मरने लगे थे। एक दिन श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ गेंद खेल रहे थे, तो इसी दौरान गेंद नदी में जा गिरी।

ऐसे में श्री कृष्ण ने नदी में कूदकर गेंद निकालने की कोशिश की, तो कालिया नाग जाग गया और उसकी नींद में खलल जालने पर वह श्री कृष्ण को मारने के लिए दौड़ा। वह श्री कृष्ण को अपने जहर से शिकार करने लगा। ऐसे में श्री कृष्ण ने कालिया को अपने वश में कर लिया और उसके मस्तक पर खड़े हो गए। श्री हरि के सीधे चरण उसके मस्तक पर पड़े। ऐसे में उसके मस्तक में उनके चिन्ह बन गए। श्री हरि ने कालिया से वहां से जाने का आदेश दिया। इसके साथ ही कहा कि तेरे फन में जब तक मेरे पैरों के चिन्ह रहेंगे, तो तुझे गरुड़ परेशान नहीं करेगा। इसके साथ ही जिस वैष्णव व्यक्ति के मस्तक में तिलक रहेगा, तो उसे कभी कलियुग परेशान नहीं करेगा।

तिलक लगाकर आए हैं, तो न करें ये गलती

कई बार मंदिर जाते हैं, तो पुजारी या फिर आप स्वयं ही अपने माथे पर देवी-देवता के चरणों का सिंदूर लेकर माथे में लगा लेते हैं। मंदिर से निकलने के कुछ समय बाद ही इसे हटा देते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, मंदिर से लगा सिंदूर आपके माथे में करीब ढाई घंटे तक लगा रहना चाहिए। इसके साथ ही आप इसे तिलक को ऐसे ही किसी कपड़े, रुमाल, टिशू से नहीं पोंछ देना चाहिए। क्योंकि इसे पोंछकर आप ऐसे ही धो देंगे या फिर फेंक दें। देवी-देवता के चरणों से लगा ये तिलक काफी शक्तिशाली होता है। ऐसे में इसे ऐसे गंदे में छोड़ देने से वह रुष्ट हो जाते हैं, जिससे आपको दोष लग सकता है।

मंदिर से लगा कर आएं है तिलक, तो करें ये काम

अगर आप देवी-देवता के चरणों से लगा तिलक अपने मस्तक में लगाकर आएं है, तो करीब ढाई घंटे तक लगा रहने दें। इसके बाद एक फूल लेकर इस तिलक को हटा दें। बाद में इस फूल को गमले या फिर नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आपको किसी भी प्रकार के दोष का सामना नहीं करना पड़ेगा। आपको किसी भी प्रकार के दोष का सामना नहीं करना पड़ेगा।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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